सूबे में जड़े जमाने की कसरत और सिद्धार्थनगर में कमजोर होती कांग्रेस, दो कांग्रेसी हो सकते हैं आउट?  

July 25, 2021 1:42 PM0 commentsViews: 1152
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नजीर मलिक

सिद्धार्थनगर। यूपी में अपनी मजबूती को कसरत कर रही कांग्रेस जिलों में कमजोर होती जा रही है। दूसरे दलों से नवागत कांग्रेसी अपने पुराने घर की ओर रुख करने लगे हैं वहीं कांग्रेस की वापसी की राह ताक रहे मूल कांग्रेसी निढाल पड़े हुए हैं। यह स्थिति दरअसल इसलिए है क्योंकि आसन्न विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के फिर गठबंधन की खबरें आ रही है। अभी तीन दिन लखनऊ प्रवास के दौरान कांग्रेस की महासचिव व यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी की ओर से खुद ऐसा संकेत दिया गया है।

पिछले विधानसभा चुनाव में सपा कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़े थे तब जिले में सिर्फ एक सीट पर कांग्रेस लड़ी थी। सपा से आए पूर्व विधायक अनिल सिंह शोहरतगढ़ से लड़कर मात्र पांच हजार या कुछ अधिक वोट ही पा सके थे। शेष चार सीट पर सपा लड़ी थी और जीत कहीं नहीं पाई। कांग्रेस के सपा से फिर गठबंधन की कानाफूसी है। ऐसी चर्चा के बाद जिले के कांग्रेसियों को फिर 2017 का परिदृष्य दिख रहा है। यह एक बड़ी वजह दूसरे दलों से कांग्रेस में आए लोगों के कांग्रेस छोड़ने का। कांग्रेस छोड़कर दूसरे दलों में जाने वाले दो आयातित कांग्रेसी नेताओं का नाम सामने आ रहा है। हालांकि इनकी ओर से अभी कुछ नहीं कहा गया है लेकिन यदि धुंआ उठा है तो आग भी लगेगी।

 चर्चा तेज है  कि कांग्रेस पार्टी के दो और सक्रिय नेता पार्टी का दामन छोड़ कर साइकिल की सवारी करने जा रहे हैं।चूंकि ये दोनों नेता मूल कांग्रेसी नहीं रहे इसलिए कांग्रेस इसे लेकर फिक्रमंद नहीं है।लेकिन इन दो नेताओं के पार्टी छोड़ देने से पुराने नेताओं में कांग्रेस पार्टी के जिलाध्यक्ष काजी सुहेल पूर्व सांसद मुहम्मद मुकीम व कुछ गिने चुने लोग ही शेष रह जायेंगे। सामान्यतयः लोग इसे स्थानीय कांग्रेस का सर्वाधिक बुरा दिन बता रहे हैं।

वहीं भाजपा से कांग्रेस में आकर छा जाने वाले एक बड़े ब्राह्मण नेता के भी कांग्रेस छोड़ सपा में जाने की चर्चा तेज है। इस ब्राह्मण नेता के बारे में कहा जा रहा कि सपा मुखिया अखिलेश यादव ने उन्हें बांसी विधानसभा से टिकट की भी हरी झंडी दे दी है। कहते हैं कि इस विधानसभा क्षेत्र से सपा विधायक रहे लालजी यादव के जिलाध्यक्ष होने के नाते पार्टी उन्हें टिकट नहीं दे सकती है। हालांकि 2007 में जब वे विधायक चुने गए तब भी सपा के जिलाध्यक्ष थे। लेकिन इस बार सपा मुखिया ने शायद जिला अध्यक्षों को टिकट न देने का पक्का निर्णय ले लिया है। यदि ऐसा है तो सपा बांसी से किसी ब्राह्मण को ही चुनाव लड़ाना चाहेगी।

डा. चन्द्रेश उपाध्याय बोले

ऐसी चर्चाओं के बीच भाजपा छोड़ कांग्रेस में आए और लोकसभा चुनाव लड़ चुके डा.चंद्रेश उपाध्याय से उनके रुख के बाबत बात चली तो उन्होंने खुद के सपा में जाने की बात सिरे से खारिज करते हुए कहा कि कांग्रेस के हर कार्यक्रम में मेरी सहभागिता बढ़चढ़कर कर रहती है। अभी लखनऊ प्रियंका जी के कार्यक्रम में था। मेरे कांग्रेस छोड़ने का सवाल नहीं है। जिले की राजनीति पर तटस्थ टिप्पणीकारों का मानना है कि कांग्रेस छोड़ सपा में आने की सोच रहे नेताओं की इच्छा विधानसभा चुनाव लड़ने की रहेगी। जिनके नाम आ रहे हैं उनका कार्य क्षेत्र जिला मुख्यालय की सदर विधानसभा सीट ही है जो सुरक्षित है।ऐसे में ये अपनी दावेदारी कहां से करेंगे?

कांग्रेस जिलाध्यक्ष ने कहा

कुछ नेताओं के पार्टी छोड़ने के सवाल पर कांग्रेस जिलाध्यक्ष काजी सुहेल अहमद का कहना है कि कांग्रेस के एक पूर्व विधायक के सपा में जाने की खबर है। मैने उन्हें समझाने की कोशिश भी की मगर वह नहीं समझ रहे। वैसे किसी के पार्टी छोड़ कर जाने से कांग्रेस कमजोर नहीं होगी। कांग्रेस में अब नयी पौध तैयार होनी शुरू हो गई है। वह निरंतर बढ़ रही है।

 

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