कैसे उम्र ने प्रसव पर खड़े किए सवाल, अधिक आयु में भी बना जा सकता है मां
डॉक्टर रीटा बख़्शी
एक औरत की अहम चाहतों में से एक चाहत बच्चे को अपनी गोद में खिलाना होती है । उसके लिए औरत क्या नहीं झेलती है। चाहे 9 महीने का दर्द हो या फिर बच्चें ना होने की तड़प । कई महिलाओं के बच्चे नहीं हो पाते है, जिसके चलते महिलाओं को समाज का बहिष्कार भी झेलना पड़ता है । इसीलिए उन महिलाओं के लिए ये जानकारी काफी लाभकारी सिद्ध होगी ।
उम्र और फर्टिलिटी
कई स्त्रीरोग विशेषज्ञों का मानना है कि जब महिला की उम्र 36 होती है तो उसके मां बनने के मौके उम्र 20 की तुलना में आधे हो जाते है ।इसके पीछ के कारण आसानी से समझे जा सकते है । उम्र का पड़ाव बढ़ता जाता है वैसे वैसे महिला के अंडे घटते जाते है । दूसरा यह कि महिलाओं में समय से पहले मासिक धर्म बन्द हो जाता है, जिससे औरतों में अंडों की कमी हो जाती है ।
इसके अलावा उनमें क्रोमोसोमल दोषों के कारण अविकसित भ्रूण या गर्भवस्था में दिक्कतें आती है ।एडिंबर्ग यूनिवर्सिटी के मुताबिक , 30 साल की महिलाओं में 95 फीसदी महिलाओं में से 12 फीसदी महिलाओं के ओवेरीअन फलिक्यलर सेल में कमीं आ जाती है । जैसे ही, महिलाओं की उम्र 30 सालकी होती है तो सेल में 12 फीसदी से आकंड़ा गिरकर 3 फीसदी हो जाता है ।
क्या कहता है शोध
एक शोध के मुताबिक , महिलाओं में जन्म से 6 लाख सेल होती है लेकिन 30 की उम्र तक केवल 72 हजार सेल्स बचती है ।कुछ टेस्ट इस प्रकार है । बदलते वक्त में विज्ञान ने काफी तरक्की की है । अब महिलाएं 35 की उम्र में भी आसानी से मां बनने का सपना पूरा कर सकती है । लेकिन इन इलाजों का इस्तेमाल करने से पहले शारीरिक पड़ताल जरुरी है । इटंरनेशनल फर्टिलिटी सेंटर की डॉक्टर रीटा बख़्शी के मुताबिक, फॉलिकल स्टिम्युलेटिंग हॉर्मोन टेस्ट , एंटी मुलिरयन हार्मोन टेस्ट, एस्ट्राडियोल टेस्ट करा सकते है ।