बांसी और डुमरियागंज में बसपा प्रत्याशी बिगाड़ सकते हैं भाजपा की जीत का समीकरण

January 31, 2022 3:20 PM0 commentsViews: 2110
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सपा का वोट लगभग स्थिर, भाजपा का टूट सकता है परसेप्शन का मिथक, सत्ताधारी दल को रहना होगा सावधान

 

नजीर मलिक

सिद्धार्थनगर। विधानसभा सीट डुमरियागंज व बांसी में अचानक बसपा प्रत्याशी बदल देने से दो विधानसभा सीटों का मौजूदा समीकरण बदलते दिखाई दे रहे हैं। खबर है कि बांसी में बसपा ने  ब्राम्हण और डुमरियागंज में कायस्थ प्रत्याशी देकर अजीब दांव खेला है। कायस्थ और ब्राम्हण दोनों ही भाजपा का पक्का समर्थक वर्ग माना जाता है। जाहिर है कि इन्होंने यदि अपने समुदायों में भारी सेंध लगाने में सफलता प्राप्त की तो  भाजपा को खतरे से दो चार होना पड़ सकता है।

इस बार रोचक  है बांसी का समीकरण

ख़बर है कि बहुजन समाज पार्टी ने  बांसी विधानभा क्षेत्र से पंडित राधेश्याम पांडेय को हाथी का महावत बनाया है। राधेश्याम पांडेय दक्षिण भारत के बड़े इंडस्ट्रियलिस्ट हैं और बांसी क्षेत्र के गुजरौलिया गांव के रहने वाले है। क्षेत्र में उनके प्रभाव को नकारा नही जा सकता है। यह अलग बात है की वह इसे वोट में कितना तब्दील कर सकते है।

इस बारे में भाजपा समर्थक रवि मिश्रा कहते है कि इससे पूर्व भी बसपा  ब्राम्हण उम्मीदवार उतार चुकी है मगर भाजपा उम्मीदवार जय प्रताप सिंह के करीब भी न पहुंच सके। इसके जवाब में बसपा समर्थक शैलेश पांडेय कहते हैं कि तब भाजपा और बांसी राजा की क्षेत्र में लहर होती थी। मगर आज कोई लहर नही और वह वोटर इनकम्बेंसी से भी जूह रहे हैं। इसलिए दलितों और ब्राह्मणों के गठजोड़ से भाजपा को आसानी से हराया जा सकता है।

बता दें कि बांसी क्षेत्र में ब्राह्मण मतदाता 12 प्रतिशत है। यदि इसमें 7 फीसदी भूमिहार भी जोड़ लिया जाए तो यह आंकड़ा 19 फीसदी हो जाता है। गौरतलब है कि इस समय ब्राह्मण मतदाता भाजपा से दुःखी माना जा रहा है, मगर वह भाजपा का साथ छोड़ेगा या नहीं यह अभी तय नहीं है।

डुमरियारगंज सीट का समीकरण

अब आते हैं डुमारियागंज सीट पर।  3.77 लाख वाली इस सीट पर पहले 14 प्रतिशत ब्राह्मण वोट हुआ करता था। मगर नए परसीमन के बाद उनका प्रतिशत घट कर 11 रह गया है। यहां से कांग्रेस ने वरिष्ठ नेता सच्चिदानंद की पत्नी कांति पांडेय को उतारा है। पार्टी के बुरे दौर से गुज़रने के बावजूद सच्चिदानंद पाण्डेय की छवि एक जुझारू नेता की है। इस बार कांग्रेस के प्रति महिला वोटरो की रुझान है। हालांकि भाजपा प्रत्याशी राघवेंद्र प्रताप की कि छवि फायरब्रांड नेता की है मगर इसबार ब्राह्मण मतदाताओं का पहले की भांति समर्थन पा सकेंगे।

बसपा की घेराबंदी

इसके अलावा बसपा ने एक जबरदस्त दाँव चल कर भाजपा को घेरने की कोशिश की है। दर असल बसपा ने यहां से अपने पूर्व घोषित प्रत्याशी अशोक तिवारी का टिकट काट कर राजु श्रीवास्तव को मैदान में उतारा है। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस के ब्राह्मण प्रत्याशी को देखते हुए अपना प्रत्याशी बदल कर राजू को मौका दिया है। राजू श्रीवास्तव कायस्थों में काफी लोकप्रिय है। 4 लाख 8 हजार मतदाताओं वाली इस सीट पर कायस्थ 6 प्रतिशत यानी 25 हज़ार है। इसलिए भाजपा के ब्राह्मण और कायस्थ मतों के कमी आना खतरे का संकेत है। भाजपा को इसे समझना पड़ेगा।

याद रहे कि सपा प्रत्याशी गत चुनाव में बसपा उम्मीदवार थीं। इस बार बार सपा प्रत्याशी हैं जाहिर है उन्हें २० हजार दलितों के वोट नहीं मिलेंगे, लेकिनर गत चुनाव में सपा प्रत्याशी को मिले 35 हजरार मत इस बार सैयदा को मिलने की संभावना है। इसलिए भाजपा को उस मात को पार करने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी।

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