बहुत बुलंद है डुमरियांगंज में बैरिस्टर ओवैसी की पतंग की उड़ान
इरफान मलिक भी रच सकते हैं दिग्गज समाजवादी कमाल युसुफ की तरह 2012 वाला राजीतिक इतिहास
नजीर मलिक
डुमरियागंजः यो तो जिले में बैरिस्टर असदुद्दीन ओवेसी की पार्टी एआईएमआईएम (मीम) का कोई जनाधार नहीं है, बावजूद इसके वह डुमरियागंज विधानसभा सीट पर एक प्रमुख ताकत के रूप में अपनी छाप छोड़ रही है। इस सीट पर भाईजान की पार्टी का टिकट उस प्रतिष्ठित राजनीतिक घराने के हाथ में है, जिसने वर्ष 2012 के चुनाव में पीस पार्टी का टिकट लेकर उस मृतप्राया पाटी को फर्श से अर्श पर पहुंचा दिया था। कहने का मतलब यह है कि इस बार भी यहां पार्टी महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि मलिक कमाल यूसुफ जैसे कद्दावर समाजवादी नेता के बेटे इरफान मलिक का चुनाव लड़ना मायनेखेज होता दिखने लगा है।
पिछले दिनों पतंग के सित्बल को लेकर डुमरियागंज आने तक तथा उसके बाद नामांकन से लेकर अब हुए जनसम्पर्क के दौरान इरफान मलिक के पीछे चलने वाली भीड़ में शामिल चेहरों को देख कर पता चलता है कि कम से डुमरियागंज मे यह मुसलमानों की पार्टी बन कर नहीं रहने वाली है। उनके साथ चुलने वाली भीड़ में हरी पेशकार, पप्पू दुबे, दिनेश पांउेय, बबलू प्रधन हरिजोत, रामजस यादव यादव, केसराम यादव, प्रमोद पांउेय, धर्मेंद्र पांडेय, श्याम सुंदर यादव जैसे नाम इस बात के गवाह हैं कि डुमरियागंज में एमिम को जाति धर्म से परे सभी वर्ग का जनसमर्थन मिल रहा है।
डुमरियागंज के चुनाव में एमिम की आहट को लोग हलके में ले रहे थो थे, मगर राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह महज औपचारिकता नहीं वरन कड़े संघर्ष में दिखने वाली पार्टी है तथा इसे सपा, भाजपा, बसपा जैसा कोई भी राजनीतिक दल हलके लेने की गुस्ताखी नहीं कर सकता। आफाक अहमद कहते हैं कि सन 2012 में जब अखिलेश यादव ने हमारे नेता तलिक कमाल युसुफ का टिकट काटा तो हम सब पीस पार्टी का टिकट लेकर आए और चुनाव जीत कर डुमरियागंज से समाजवादी पाटी का जनाजा निकाल दिया। इस बार फिर अखिलेश ने धोखा उदया है तो इस बार भी समाजादी पार्टी को चौथे नम्बर पर धकेल कर रहेंगे।
डुमरियांगंज में ओवैसी साहब की पतंग दिन ब दिन ऊंचाइयां हासिल करती जा रही है। चुनाव नामांकन के दौर में अभी किसी की हार अथवा जीत की भविष्यवाणी कर बेमानी होगी, मगर प्रत्याशी इरफान मलिक के इर्द गिर्द जुटने वालें प्रभावशाली चेहरों कसे देख कर कहा जा सकता है कि आज एमिम वहां के बहुकोणीय मुुकाबले में टक्कर देने की हालत में है। आगे चल कर इरफान मलिक अपने पिता कमाल यूसुफ मलिक की तरह 2012 की भांति फिर नया इतिहास रच दें तो बहुत ताज्जुब की बात नहीं होन चाहिए।