डुमरियागंज सीटः जगदम्बिका पाल के मुकाबले साझा उम्मीदवार की घोषणा में फंसा नया पेंच
बसपा से समझौते की चल रही गुपचुप वार्ता के कारण प्रत्याशी की घोषणा में हो
सकता है एक सप्ताह का विलम्ब, आचार संहिता लागू होने की तिथि का इंतजार
नजीर मलिक
चित्र परिचय— पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसााद पांडेय
सिद्धार्थनगर। जैसा की उम्मीद थी कि डुमरियागंज लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी जगदम्बिका पाल के मुकाबले इडिया गठबंधन के उम्मीदवार की घोषणा अब तक हो जानी चाहिए थी। लेकिन पिछले 48 घंटे में राजनीति ने ऐसी करवट लिया कि प्रत्याशी की घोषणा खटाई में पड़ गई। अब नई खबर है कि इंडिया गठबंधन में बसपा के शामिल होने को लेकर वार्ता चल रही है। इसे देखते हुए संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार की घोषणा में एक सप्ताह का समय लगने की आशंका जताई जा रही है।
सीटों की अदला बदली में हुआ पहला विलम्ब
बता दें कि सपा और कांग्रेस के समझौते में डुमरियागंज लोकसभा सीट डुमरियागंज सपा के खाते में गई थी। सपा की तरफ से पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय अथवा सपा जिलाध्यक्ष लाल जी यादव में से किसी एक के नाम की घोषणा भी होने वाली थी। मगर यह घोषणा हो पाती इससे पूर्व कांग्रेस व सपा में कतिपय सीटों के अदला बदली की खबरें आने लगीं और यहां से दर्जा प्राप्त पूर्व मंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता नर्वदेश्वर शुक्ल सहित कई लोगों की चर्चा होने लगी। उम्मीद बनीकि कांग्रेस यहां से किसी ब्राह्मण प्रत्याशी के नाम की घोषणा कर देगी। मगर तभी राजनीति ने अचानक ऐसी करवट ली कि सपा और कांग्रेस दोनों ही दलों को अपने उम्मीदवारों का नाम स्थगित करना पड़ा।
बसपा को देनी पड़ सकती है सीट
कांग्रेस व सपा के महत्वपूर्ण सूत्रों के अनुसार पिछले कई दिनों से कांग्रेस व सपा नेताओं की अत्यंत गोपनीय तरीके से बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो बहन मायावती से गठबंधन में शामिल होने सम्बंधी वार्ता चल रही थी। उत्तर प्रदेश में बसपा को 25 सीटें देने की बात लगभग तय हो गई थी। वार्ता अपने अंतिम चरण थी। केवल सीटों को चिन्हित करने का काम रह गया था। सूत्रों के अनुसार 9 मार्च को आचार संहिता लगने के बाद इस बात का एलान किया जाना था, मगर आचार संहिता घोषित होने में कुछ दिन का विलम्ब हो गया। इसलिए यह घोषणा भी टल गई। अब कहा जा रहा है कि आर संहिता अब 15 मार्च तक लगेगी। लिहाजा यदि सपा कांग्रेस का बसपा से समझौता हुआ तो सीटों का बंटवारा फिर से होगा और जिस दल के खाते में यह सीटी जायेगी वह अपना प्रत्याशी घोषित करेगा और यदि बसपा से समझौता किसी कारण् न भी हुआ तो सपा या कांग्रेस अपने प्रत्याशी की घोषणा कर देगी। ऐसे में अब संयुक्त विपक्ष के प्रत्याशी की घोषणा में कम से कम एक सप्ताह का समय और लगेगा।
तीसरा वोट बैंक जोड़ना होगा
बसपा से गठबंधन न हो पाने की दशा में यहां से कांग्रेस या सपा जो भी उम्मीदवार देगा उसे तीन जातियों का समीकरण बना कर ही प्रत्याशी देना जीत के लिहाज से उचित होगा। दरअसल यहां के 26 प्रतिशत मुस्लिम और 10 प्रतिशत यादव मतदाता गठबंधन के पक्ष में एकजुट हैं। राजनतिक जानकारों का मानना हैकि अन्य पिछड़े वर्गों से तथा दो तीन प्रतिशत मतदाता के जुड़ने की संभावना है। ऐसे में एक बड़े समूह का वोटबैंक जोउ कर गठबंधन जीत को सुनश्चित कर सकता है।
राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि वर्तमान में पूर्वांचल का ब्राह्मण समुदाय भाजपा से खिन्न है। यहां से भाजपा से टिकट की दावेदारी कर रहे पूर्व मंत्री और प्रभावशाली ब्राह्मण नेता सतीश द्धिवेदी को टिकट न मिलने से भी स्थानीय ब्राह्मण मतदाता खिन्न है। मगर वह भाजपा का साथ तभी छोड़ेगा जब गठबंधन की ओर से कोई प्रभावशाली ब्राह्मण प्रत्याशी हो। जिले में ब्राह्मण मतदाता लगभग 7 प्रतिशत है। ब्राह्मण प्रत्याश् के अलावा यहां कुर्मी समाज भी लगभग 4 प्रतिशत है। लेकिन इस समाज का कोई मजबूत स्थानीय नेता नहीं है और स्थानीय मतदाता बाहरी प्रत्याशी पर भरोसा करने में विश्वास नहीं रखता।