डुमरियागंजः AIMIM की सभा में जुटी भीड़ और ओवैैसी के तर्कपूर्ण भाषण से इरफान मलिक के खेमे में राहत
लीक से हट कर मन मोहने वाला रहा बैरिस्टर ओवैसी का भाषण, ध्रुवीकरण की आस लगाने वालों के हाथ आई निराशा
जनसभा में आई भीड़ के निहितार्थ निकालने में जुटे राजनीतिक विश्लेषक, एक मार्च की शाम को निकलेगा निहतार्थ
नजीर मलिक
डुमरियागंज, सिद्धार्थनगर। डुमरियागंज स्थित राजकीय कन्या इंटर कालेज के मैदान पर कल भागीदारी परिवर्तन मोर्चा की जनसभा में आई भीड़ और AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के शानदार भाषण से उनकी पार्टी के उम्मीदवार इरफान मलिक व उनके समर्थक काफी राहत में हैं। उन्हें यकीन है कि आगे की दो रैलियों के माध्यम से वे चुनावी माहौल को अपने पक्ष में मोड़ने में कामयाब हो सकेगे। दूसरी तरफ जनसभा में भागीदारी करने वालों को लेकर राजनीतिक विश्लेषण उसके निहितार्थ निकालने में जुटे हुए हैं।
कल इंटर कालेज के मैदान पर आई हजारों की भीड़ यह बताने के लिए काफी थी कि मलिक इरफान को इस चुनाव में हल्के में नहीं लिया जा सकता। हालांकि उनकी रैली में आई भीड़ का मुकाबला अखिलेश यादव और नरेन्द्र मोदी की रैलियों से नहीं किया जा सकता लेकिन उनकी जनसभा समाजवादी पार्टी और भाजपा के अन्य बड़े नेताओं की रैलियों से किसी भी प्रकार कम नहीं थी। जाहिर है कि यह भीड़ AIMIM प्रत्याशी इरफान मलिक के आह्वान पर कम उनके पिता कमाल यूसुफ के नाम पर ज्यादा आई हुई थी। सभा स्थल पर कमाल यूसुफ को जनता द्धारा मिल रही तरजीह इसका प्रमाण भी थी।
सभा में बैरिस्टर ओवैसी बिलकुल बदले बदले नजर आ रहे थे। उनका भाषण उस प्रकार बिलकुल नहीं था, जिसके लिए वे प्रचारित हैं। बउ़े सधे और तर्कपूर्ण अंदाज में वे बपनी बात रख रहे थे। शायद उन्हें अंदाज था किउिनके उम्मीदवार इरफान मलिक को हिंदू वोटों का भी व्यापक समर्थन है। इसलिए वे भागीदारी परिवर्तन मोचा के मेनूफेस्टों के आधार पर अति पिछड़ों और अल्पसंख्यकों से अपनी लीडरशिप तैयार करने का आह्वान कर रहे थे। उन्होंने उपस्थिति जनसमुदाय को झकझोरा कि जब तक वे अपनी भागीदारी के हिसाब से सत्ता में हिस्सेदारी नहीं पायेंगे तब तक उन्हें न हक मिल सकता है और न ही इंसाफ हासिल कर सकते हैं।
जनसभा में उन्होंने सपा, बसपा पर करारा हमला बोला और कहा कि आज आजम खान व बाबूराम कुशवाहा जैसे लोग जेल में रहते हैं मगर उनकी हिमायत में कोई आवाज नहीं उठाता। इसलिए कि इन कमजोर समाजों का कोई अपना नेता नहीं हैं। अगर इन समाजों का कोइ्र अपना नेता होता तो आज निर्दोष अल्पसंख्यकों, अति पिछड़ों का सरेआम इनकाउंटर न हा पाता न ही उनका अन्य प्रकार से उत्पीड़न हो पाता। उन्होंने इरफान मलिक को वोट देने की अपील करते हुए कहा कि अब अपनी लीडरशिप बनाइये तथा मजबूत बनिएए सपा, बसपा कांग्रेस जैसी पार्टियों में रह कर आप मजबर हो सकते हैं मजबूत कत्ई नहीं बन सकते।
कुल मिला कर अपने प्रभवशाली तकरीर से बैरिष्टर ओवैसी डुमरियागंज की सभा में बेहतर प्रभाव छोड़ने में सफल रहे। उनके भाषण से उन ताकतों को भी निराशा हाथ लगी जो ओवैसी के तीखे भाषण से क्षेत्र में वोटों के ध्रुवीकरण के मंसूबे बना रखे थे। यही कारण है कि ओवैसी के भाषण के दौरान कईबार तालियां बजी और लोगों ने पूरे मन से उनका प्रभावशाली भाषण सुना तथा उन पर काफी देर तक चर्चाएं भी चलीं। इससे इरफान मलिक के खेमे को यकीनन राहत मिली होगी
अभी बैरिस्टर ओवैसी की दो जनसभा और होनी है। यह दोनों सभाएं भी मुस्लिम बहुल इलाकों में हैं। जहां ओवैसी को अपने तर्कपूर्ण और प्रभावशाली भाषण का हुनर दिखाना है। उनके इस संतुलित भाषण की फिलहाल खूब तारीफ हो रही है। उनके भाषण के प्रभाव को लेकर राजनीतिक प्रेक्षक सियासी लाभ़़-हानि का गुणा-भाग करने में लगे हैं। आगे 28 फरवरी और एक मार्च को होने वाली उनकी सभाएं डुमरियागंज में इरफान मलिक को कितनी ताकत देंगी और उसका डुमरियागंज के सियासी संघर्ष पर कितना प्रभाव पड़ेगा यह पहली मार्च की शाम को स्पष्ट हो सकेगा।