जिले में लहराया भगवा, सभी सीटों भाजपा की जीत, डुमरियागंज में रिकाउंटिंग की मांग पर बसपाई

March 11, 2017 5:32 PM0 commentsViews: 2127
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सपा की हुई दुर्गति, बसपा ने तीन सीटों पर दी बड़ी टक्कर

नजीर मलिक

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सिद्धार्थनगर। जिले की सभी पांच सीटों पर भाजपा को एतिहासिक जीत मिली है। इससे पूर्व १९९३ में भी भाजपा यहां से सभी सीटों पर जीती थी। पिछले चुनाव में चार सीटें जीतने वाली सपा की इस चुनाव में दुर्गति हुई है। बसपा ने तीन सीटों पर जरूर अच्छी लड़ाई लड़ी है। चुनाव परिणाम से भाजपाइयों में जबरदस्तर उत्साह है। पूरे जिले में अबीर गुलाल उड़ रहे हैं।

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इटवा में विधानसभा अध्यक्ष तीसरे स्थान पर

मिली जानकारी के मुताबिक इटवा विधान सभा क्षेत्र में यूपी विधानसभा के अध्यक्ष की भारी हार हुई है। वह तीसरे स्थान पर खिसक गये हैं। भाजपा के सतीश द्धिवेदी ने विजेता के रूप में ५९५२४ वोट हासिल किये । उनके निकटतम प्रतिद्धंदी बसपा के अरशद खुर्शीद को ४९३१६ वोट मिले। जबकि सपा के माता प्रसाद को ४६६०१ वोट ही मिल सके।

कपिलवस्तु में भाजपा की एतिहासिक जीत

कपिलवस्तु सीट पर भाजपा नेता श्याम धनी राही को एतिहासिक जीत मिली है। ११४०८२ मत पाकर सपा के विधायक विजय पासवान को लगभग ३७ हजार वोटों से हराया है। पिछले चुनाव में विजय ने भाजपा प्रत्याशी को भी लगभग इतने ही तमों से हराया था। इस बार विजय को ७५९२८ मत मिले। बसपा के चन्द्रभान को ३७१६६ वोट ही मिल सके।

इटवा–बांसी

शोहरतगढ़ विधानसभा सीट पर ६७५५२ हजार वोट पाकर भाजपा के सहयोगी अपना दल के अमर सिंह चौधरी जीते हैं। उनके निकटतम प्रतिद्धंदी जमील सिद्दीकी को ४५३४३ वोट मिले। इस प्रकार वह लगभग २२ हजार वोटों से हारे। यहां सपा के उग्रसेन सिंह ३६९९५ वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे। बांसी में भाजपा के जय प्रताप सातवीं बार फिर जीत गये हैं। उन्हें ७७५४८ वोट मिले उनके निकटतम सपा के लालजी यादव को ५८६०६ वोट ही मिल सके।

सबसे रोचक संघर्ष डुमरियागंज में रहा।

डुमरियागंज में बसपा की सैयदा खातुन और भाजपा के राघवेन्द्र सिंह में कड़ मुकाबना रहा। अंतिम यानी ३१ राउंड में राधवेन्द्र सिंह ३८४ वोट से विजेता बने। ३० राउंड की गिनती तक दोनों तकरीबन ७०– ७० वोट पा चुके थे। अंतिम राउंड के काउंटिंग को लेकर सैयदा पक्ष ने आपत्ति की सो फिलहाल ३१वें राउंड का नतीजा अधिकृत रुप से जारी नहीं किया जा सका था। सैयदा के समर्थक समाचार लिखे जाने तक रिकाउंटिेंग की मांग को लेकर डटे हुए थे। इभी उसका परिणाम नहीं मिला है।

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