सियासतःदुबई और मुम्बई में लड़ी जा रही पंचायत चुनावों की जंग
नजीर मलिक
जिला और ब्लाक पंचायतों के चुनाव तो सिद्धार्थनगर में हो रहे हैं, मगर इस जंग का एक हिस्सा खाड़ी के देश और मुम्बई भी है। जहां पर बड़ी शिदृदत से जंग ही नहीं लड़ी जा रही, वरन रणनीतियों का अहम हिस्सा भी वही से तय हो रहा है।
मुम्बई से कपिलवस्तु पोस्ट को मिली रिपोर्ट के मुताबिक वर्तमान में महानगर के कुर्ला, सायन, भिंडी बाजार, मुम्ब्रा, ठाणे आदि उपनगरों में सिद्धार्थनगर या यों कहें कि पूरे पूर्वांचल की सियासत गर्माई हुई है। लोग सिद्धार्थनगर जिले में चुनाव लड़ रहे अपने हमदर्दों को जिताने के लिए प्रचार में जुट गये हैं।
कुर्ला का शालीमार होटल हो या भिंडी बाजार का जब्बारी या गुलशने इरान। इन रेस्टोरेंटों में सिद्धार्थनगर के झुंड के झुंड बैठते हैं और रणनीतियां बनाते हैं। कई बार यहीं पर मीटिंग और दावतें भी आयोजित होती हैं।
ऐसी जगहों पर वोट डालने के लिए सिद्धार्थनगर जाने के लिए पूरी बस अथवा रेल कोच रिजर्व करने पर रणनीतियां भी बनती हैं। मुब्रा के खान हाफिज बताते हैं कि यहां मिनी सिद्धार्थनगर बसा हुआ है। यहां के लोग वतन में अपनी पंचायतों में हमेशा निर्णायक भूमिका अदा करते हैं।
कुर्ला के रहने वाले अब्दुल नईम खान का कहना है कि सिद्धार्थनगर के चुनावों में हमेंशा यहां से पैसा दिया जाता है। इसके अलावा यहां के लोग भारी तादाद में वोट डालने अपने गांव जाते हैं। वहां पर अपने उम्मीदवारों को जिताने के लिए रिश्तेदारों पर दबाव बनाते हैं।
सायन के हाजी अहमद और अंधेरी के राजेन्द्र गोस्वामी का कहना है कि जिसने अपने इलाके के मुम्बइयों का समर्थन पा लिया समझो उसकी जीत पक्की हो गई।वह खुद भी चुनाव में अपने दर्जनों साथियों के साथ घर आने की तैयारी में हैं।
मुम्बई के अलावा गल्फ के कतर दुबइ्र शरजाह में भी यहां के चुनावों की चर्चा है। वहां के कामगार अपने गांव के मनपसंद प्रत्याशी को जिताने के लिए फोन के मार्फत मुहिम चला रहे हैं।
गौरतलब है कि सिद्धार्थनगर जिले के तकरीबन ढाई लाख मतदाता मुम्बई में और तीस हजार खाड़ी देशों में रहते हैं। जिले के 17 लाख मतदाताओं में इन तीन लाख वोटरों का समर्थन बहुत मायने रखता है। यही वजह है कि चुनावों के दौरान अनेक प्रत्याशी कम से कम एक बार मुम्बई जाकर उनका समर्थन पाने की कोशिश जरूर करते हैं।