ज्वैलर्स आंदोलन में मोदी को क्लीन चिट, केवल जेटली को निशाने पर लेने से कुंद हो रही आंदोलन की धार
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। पिछले एक पखवारे से चल रहे स्वर्ण व्यवसाइयों का आंदोलन अजब ढंग से चल रहा है। समूचे आंदोलन में निशाने पर वित मंत्री अरुण जेटली हैं, जबकि सरकार को इससे पूरी तरह बरी रखा जा रहा है।
एक्साइज डयूटी को बढ़ाने के विरोध में चल रहे इस आंदोलन में विरोध का स्वर बहुत सीमित है। हालांकि नीतिगत फैसलों की जिम्मेदारी सरकार और उसके मुखिया की होती है और सम्बंधित मंत्री का रोल उसके बाद का होता है। बावजूद आंदोलन में मोदी सरकार को क्लीन चिट मिली हुई है।
कम से कम सिद्धार्थनगर में एक बात दिखाई दे रही है कि यहां का आंदोलित स्वर्णकार वर्ग प्रदर्शन के दोैरान केवल जेटली मुर्दाबाद के ही नारे लगा रहा है। इसके अलावा उसके आंदोलन में सरकार पर कोई प्रहार नहीं दिख रहा। वह सरकार को घेरने से साफ बच रहा है।
पत्रकारों द्धारा इस बारे में सवाल करने पर भी आंदेलनकारी अपना साफ्ट कार्नर छुपा नहीं पाते। उनकी दलील है कि एक्साइज डयूटी बढ़ाने में सरकार या पीएम मोदी का कोई रोल नहीं। यह तो जेटली की कारस्तानी है।
आंदोलनकारियों के इस रुख से कुछ समझदार व्यवसाई दुखी भी है। उनका कहना है कि सरकार के प्रति इस प्रेम की वजह से ही उनकी बातों को केन्द्र सरकार गंभीरता से नहीं ले रही है। इससे आंदोलन की धार फीकी होने लगी है।