exclusive- पुलिस के मुखबिरों से बेहतर होते हैं किन्नरों के जासूस
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। शहर के किसी घर में लड़के की किलकारी गूंजे और उस क्षेत्र के किन्नरों को जानकारी न मिले, यह नामुमकिन हैं। किसी घर में बेटा हुआ तो इनकी जमात वहां पहुंच जाती है नाच गा कर बधाइयां देने। किसी घर में बेटा पैदा होने की खबर उन्हें अपने जासूसों से मिलती है। इस मामले में किन्नरों के भेदियों ने पुलिस के मुखबिरों को बहुत पीछे छोड़ रखा है।
क्राइम और क्रिमनल के बारे में सुराग देने के लिए पुलिस के पास मुखबिरों की सशक्त टीम होती है। इसी तरह किसी घर में बच्चों के जन्म के की सूचना पाने के लिए किन्नरों की भी अपनी टीम होती है। आज क दौर में पुलिस के मुखबिर फेल हैं, मगर मजाल क्या है कि किन्नरों के मुखबिरों से कोई सूचना छूट जाये।
सिद्धार्थनगर जिले में किन्नरों की कुल तादाद 77 है। हेडक्वार्टर पर हाजी साहब किन्नरों के नेता हैं। इनका सूचनातंत्र बेहद जबरदस्त है। कोई कितनी भी गोपनीयता बरते, उनके घर अगर बेटा हुआ है तो करीब के रहने वाले किन्नरों को उनकी सूचना हर हाल में मिल जाती है। और वह उनके घर पहुंच कर नाच गा कर बधाइयां देने के एवज में मोटी रकम वसूलते हैं।
दरअसल इसके लिए किन्नरों ने शहरी इलाकों में मुखबिरों का जाल बिछा रखा है। लेकिन गोपनीयता इतनी है कि आप उन्हें भांप नहीं सकते। उनके मुखबिर अस्पतालों के जच्चा-बच्चा केन्द्रों की सेविकाओं से लेकर नगरपालिकाओं के चपरासी तक होते हैं। शहर के धनाढय मुहल्लों में इनके भेदिए अलग होते हैं, जो किसी के जन्म की खबर इनको फौरन देते हैं। बदले में किन्नर इन्हें भी इनाम देते हैं।
सबसे बड़ी बात है कि पुलिस के मुखबिर आज अपने कामों में पुरानी धार रखने में नाकामयाब हैं, लेकिन किन्नरों के मुखबिर अपने काम में शत प्रतिशत कामयाब हैं। इसका कारण है कि पुलिस के मुखबिर अब जनता की नजरों में जल्दी आ जाते हैं, लेकिन किन्नरों के मुखबिर का खुलासा बेहद कठिन है।
कपिलवस्तु पोस्ट ने जब इसकी जानकारी के लिए सिद्धार्थनगर के किन्नरों के नेता हाजी साहब से सम्पर्क किया, तो उन्होंने साफ मना कर दिया और कहा कि इस बारे में कुछ बोलने से उनके संगठन ने मनाही कर रखी है। जाहिर है कि यही गोपनीयता उनके मुखबिरों को कामयाब बनाये हुए है।