EXPOSED: ऐसा सपा जिलाध्यक्ष जिसने नहीं चलाई अखिलेश की साइकिल
नजीर मलिक
“सात साल से सपा जिलाध्यक्ष पद पर विराजमान अजय उर्फ झिनकू चौधरी के खिलाफ सपा कार्यकर्ताओं ने लामबंदी शुरू कर दी है। नाराज़ कार्यकर्ताओं का कहना है कि ऐसा जिला अध्यक्ष किस काम का जिसने सीएम के निर्देश को अनसुना कर दिया। जब पार्टी के सभी छोटे-बड़े नेता साइकिल यात्रा के ज़रिए सरकार के विकास कार्यों का संदेश घर-घर पहुंचा रहे थे, तब अजय उर्फ झिनकू चौधरी कहां थे? पार्टी की सभी महत्वपूर्ण गतिविधियों से गायब रहने वाले जिलाध्यक्ष जब साइकिल यात्रा में भी शामिल नहीं हुए तो सपाइयों का गुस्सा भड़क गया है। कार्यकर्ताओं का आरोप है कि जिलाध्यक्ष अजय एक जेबी अध्यक्ष से बढ़कर कुछ भी नहीं।”
झिनकू चौधरी विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय के विधानसभा क्षेत्र इटवा के निवासी हैं। वह बीते सात साल से पार्टी के जिलाअध्यक्ष हैं। ज़मीन पर काम कर रहे कई सपाई आरोप लगाते हैं कि वह एक गैर राजनीतिक व्यक्ति हैं और माता प्रसाद के इशारे पर हर बार अध्यक्ष मनोनीत हो जाते हैं। यही वजह है कि पार्टी कार्यकर्ता उन्हें जिलाध्यक्ष मानने की बजाए जेबी अध्यक्ष कहते हैं। कई कार्यकर्ताओं का कहना है कि समाजवादी पार्टी का काम बेहतर है, मगर ढीले अध्यक्ष के चलते हम सभी का हौसला पस्त हो जाता है।
इस बार भी आलाकमान के निर्देश पर जिले में सात दिन तक चली जनसंदेश साइकिल यात्रा के दौरान जिलाध्यक्ष झिनकू चौधरी किसी भी रैली मेें शामिल नहीं हुए। न ही एक कदम साइकिल यात्रा की। पार्टी कार्यकर्ताओं का दावा है कि अजय सिर्फ एक कार्यक्रम में आए और साइकिल के साथ फोटो खिंचवाकर वापस चल दिए।
यही वजह है कि कार्यकर्ताओं का गुस्सा चरम पर है। सूत्रों के मुताबिक सदर विधायक विजय पासवान से लेकर शोहरतगढ सपा विधायक के पुत्र और प्रतिनिधि उग्रसेन सिंह, पूर्व विधायक लालजी यादव समेत कई फ्रंटल संगठनों के नेता जिलाध्यक्ष को हजम नही कर पा रहे हैं। यह और बात है कि अपने कद के कारण ये लोग मुखर विरोध नहीं करते, मगर पार्टी के अंदरखाने में उनके और जिलाध्यक्ष के बीच 36 का आंकडा सार्वजनिक है।
सपा नेता निसार बागी का कहना है कि अगर अध्यक्ष रैलियों में शामिल होते या नेतृत्व करते तो पार्टी वर्करों का हौसला बढ़ता। मगर उनकी सुस्ती ने लोगों का हौसला कम कर दिया। वहीं जिलाध्यक्ष अजय का कहना है कि तबीयत खराब होने के नाते वह साइकिल यात्रा अधिक भागीदारी नहीं निभा सके। लेकिन जवाब में सपा नेता सत्यानंद यादव का कहना है कि कार्यक्रमों के दौरान उनकी तबीयत अक्सर खराब हो जाती है। अगर उनकी बीमारी काम में बाधा है तो कार्यवाहक अध्यक्ष बना कर उनसे काम लेना चाहिए या फिर उन्हें खुद आगे आकर पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।
बहरहाल, जिलाध्यक्ष के इस रवैये का सच पार्टी के सभी नेता-कार्यकर्ता बखूबी जानते हैं। फिलहाल पूरे जिले में उनके खिलाफ बगावत के सुर शुरू हो गए हैं। निसार बागी कहते हैं कि जिलाध्यक्ष की भूमिका लीडर की होती है। अफसोस है कि जिले में पार्टी को लीडरशिप की कमी खल रही है।