मौत या चंबल के बीहड़ अलावा तीसरा विकल्प क्या है घनश्यम के पास? डीएम से की इच्छा मौत की मांग

April 18, 2016 7:47 PM0 commentsViews: 385
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नजीर मलिक

सरकारी भ्रुतान और देनदारी के झमेले में उलझा केबिल आपरेटर घनश्याम गुप्ता

सरकारी भ्रुतान और देनदारी के झमेले में उलझा केबिल आपरेटर घनश्याम गुप्ता

सिद्धार्थनगर। जिला हेडक्वार्टर के केबिल आपरेटर घनश्याम गुप्ता ने जिलाधिकारी को पत्र देकर इच्छा मौत की मांग की है। जब व्यवस्था दिव्यांग हो जाये तो पान सिंह तोमर जैसे फौज जवान के जवान या तो चंबल के बीहड़ों में कूद जाते हैं या मनाज गोस्वामी जैसे होनहार छा़त्र अपनी जान दे देते हैं। घन्याम भी आज इसी हालत से दो चार है।

घनश्याम गुप्ता इस व्यवस्था में सात साल से न्याय के लिए जूझ रहे हैं। प्रशासन ने न्याय देने के बजाये उनका केबिल कनेक्शन काट दिया। अब रोजी रोटी के दरवाजे बंद हैं। घनश्याम ने कई कलक्टर साबानों के दरवाजे खटखटाये, मगर किसी ने उनकी बात न सुनी। इसलिए अब उसने नये कलक्टर को दरख्वास्त देकर इच्छा मात की मांग की हैं।

क्या है घन्श्याम का मामला

जिला मुख्यालय के कबल टी वी आपरेट घनश्याम ने 2009 के लोकसभा चुनाव में निर्वाचन विभाग के टेंडर पर चुनाव की विडियो ग्राफी की थी। जिसका कुल भुगतान 4 लाख उसे मिलना था।

बहरहाल विभाग ने पैसा नहीं दिया। इसी बीच वह दिल के मरीज हुए और उन्हें सर्जरी करानी पड़ी। इस दौरान मनारंजन कर विभाग ने घनश्याम घनश्याम से कबिल टीवी के 48 हजार टैक्स की मांग कर दी।

परेशान घनश्याम पिछले पांच सालों से निर्वाचन विभाग से पैसे मांग रहे हैं। उन्होंने प्रशासन से भुगतान नहीं मिलने पर 48 हजार कासरकारी बकाया अपने बकाये में समायोजन का अनुरोध किया, लेकिन लेकिन कलक्टर ने अनसुनी कर दी।

काट दिया गरीब का केबिल कनेक्शन

एक तो बेचारा लाखों के खर्च वाली बीमारी दिल का मरीज, इसी बीच मनारंजन कर विभाग ने 48 हजार बकाये के लिए उसका केबिल कनेक्शन काट दिया। घनश्याम अब सड़क पर आ गया है। वह जिलाधिकारी से अपने 4 लाख बकाया में 48 हजार के समायोजन की फरियाद करता रहा, लेकिन कलक्टर ने एक न सुनी।

हार कर मांगा इच्छा मुत्यु

आखिर व्यवस्था से हार कर घनश्याम ने कलक्टर को गत दिवस प्रार्थनापत्र देकर इच्छा मृत्यु की मांग कर दी। कलक्टर ने उसका प्रार्थनापत्र लिया, मगर बकाया जमा करने के पहले केबिल नहीं चलाने का फरमान भी सुना दिया।

क्या कहा घनश्याम ने?

इस बारे में घनश्याम का कहना है कि वह पान सिंह तोमर की तरी चंबल की राह तो पकड़ नहीं सकता, लेकिन जान देने का काम तो कर सकता है। अगर उसका बकाया समायोजित नहीं किया गया तो मौत के अलावा उसके पास कोई दुसरा चारा नहीं बचता है।

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