धर्म बदलने वाले छलिया प्रेमी को दस साल की बामशक्त कैद, विवेचक दारोगा भी नपे
लड़की के लिए अपना नाम बदला, धर्म बदला, विवेचक दारोगा की मदद भी लिया, फिर भी नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत ने दिया इंसाफ
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। जिले की बांसी तहसील में मुहब्बत के नशे में आकर गंगाराम अपने ही गांव की एक युवती को अपना दिल दे बैठा। युवती चांदनी का भी दिल जीतने के लिए प्रेमी गंगाराम से हबीब बन बैठा। लेकिन कानून का करिश्मा देखिए, धोखे के इस प्रेम में अदालत ने नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत पर अमल करते हुए प्रेमी गंगाराम उर्फ हबीबुर्रहमरन को दस साल बामशक्कत कैद की सजी दे दी। इसी के साथ गंगाराम को विेवेचना में मदद पहंचाने वाले दारोगा जी के खिलाफ भी कोर्ट ने कार्रवाई के लिए एसपी को हिदायत दी है।
इस रोचक प्रसंग की कहानी शुरू होती है सन 2020 से। कहते हैं कि बांसी तहसील के पिपरा पड़रूपुर गांव की रहने वाली युवती चांदनी और गंगाराम के बीच आंखें चार हो गईं। लेकिन चांदनी (बदला हुआ नाम) मुस्लिम थी व गंगाराम हिंदू। लिहाजा गगाराम ने अपना नाम हबीबुर्रहमान रख कर चांदनी को बताया कि वह मुसलमान हो गया है। इसके बाद वह चांदनी को जनवरी 2020 में लेकर कहीं चला गया। लेकिन इन सारे प्रेम प्रपंच के दौरान गंगाराम भारतीय लोकतंत्र के कानून को भूल गया कि चांदनी की उ्रम्र 18 वर्ष से कम है और नाबालिग से प्रेम के आधार पर कहीं अन्यत्र ले जाना अपहरण व शारीरिक संबंध को बलात्कार माना जाता है।
बहरहाल चांदनी को भगा ले जाने के बाद चांदनी के पीड़ित पिता ने पुलिस को दिये तहरीर में आरोप लगाया कि बांसी क्षेत्र के पिपरा पड़रुपुर निवासी गंगाराम ने उसकी 15 वर्षीय बेटी का अपहरण कर लिया है। गंगाराम ने अपना नाम बदलकर हबीबुर्रहमान रख लिया था। पुलिस ने जांच के दौरान आरोपी को गिरफ्तार किया और नाबालिग के अपहरण, दुष्कर्म व पॉस्को एक्ट के तहत केस दर्ज कर उसे जेल भिजवा दिया था।
अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश विशेष न्यायाधीश पाॅक्सो एक्ट बीरेंद्र कुमार की अदालत में बचाव पक्ष ने तमाम दलीलें दीं, लेकिन न्यायालय ने चांदनी के नाबालिग होने के आधार पर पूरे मामले को देखा। राज्य सरकार की तरफ से पीड़ित पक्ष की पैरवी करने वाले विशेष लोक अभियोजक ने बताया कि साक्ष्यों के जरिये पता चला कि लड़की को झांसा देने के लिए गंगाराम ने अपना नाम हबीबुर्रहमान रख लिया था। कोर्ट ने साक्ष्यों के आधार पर मंगलवार को गंगाराम उर्फ हबीबुर्रहमान को दोषी ठहराया और 10 साल के कठोर कारावास के साथ ही 61 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। सजा मुकर्रर होने के बाद ही गंगाराम को गत दिवस जिला जेल भेज दिया गया है। इसकी 90 फीसदी राशि पीड़िता को दी जाएगी। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि पीड़िता को राज्य सरकार की तरफ से अधिकतम क्षतिपूर्ति की राशि उसके पुनर्वास के लिए प्रदान की जाए।
विवेचक दारोगा पर कार्रवाई के लिए एसपी को दिया आदेश
जांच के दौरान आरोपी को लाभ पहुंचाने के लिए विवेचक एसआई सुभाष चंद्र ने पीड़िता और अभियुक्त की डीएनए की सैंपलिंग कराकर प्रयोगशाला नहीं भेजा। केस डायरी में सैंपल न भेजने का कारण और हालात भी नहीं बताए गए थे। विवेचक ने कानूनी प्रावधानों के तहत दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करते हुए आपत्तिजनक और लापरवाही पूर्वक कृत्य किया। कोर्ट ने इसका संज्ञान लेते हुए आरोपी विवेचक के खिलाफ कार्रवाई के लिए एसपी को आदेश दिया है। अबदे‚ाना है एसपी सिद्धार्थनगर की ओर से दारोगा के खिलफ क्या कार्रवाई होती है।