June 11, 2018 4:18 PMViews: 1368
— पीस पार्टी अध्यक्ष डा. अयूब हो सकते हैं गठबंधन के स्टार प्रचारक, लेकिन अभी स्थिति साफ नहीं
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। पूर्वी उत्तर प्रदेश की लगभग ढाई दर्जन लोकसभा सीटों में से तकरीबन आधी पर गठबंधन के विभिन्न दलों का चुनावी खाका तैयार कर लिया गया है। हालांकि अभी इसकी घोषणा नहीं हुई है, लेकिन लखनऊ में गठबंधन की सियासत की जानकारी रखने वाले सूत्र इसे पूरी तरफ पुष्ट मान रहे हैं। लेकिन सभी सीटों का बटवारा पूरी होने के बाद ही इसे सार्वजनिक किया जायेगा।
कांग्रेस को मिलेंगी ये सीटें
बताया जाता है कि अगर सपा बसपा और कांग्रेस का गठबंधन हुआ तो पर्वी यूपी के कुशीनगर, बाराबंकी और बनारस की सीट पर कांग्रेस लड़ेगी। इसके अलावा लखनऊ शहर और उन्नाव की सीट पर भी कांग्रेस लड़ेगी। हालांकि ये दोनो सीटें पूर्बी यूपी में नहीं आतीं, लेकिन खबर है कि इन पर गठबंधन के नेताओं की राय बन चुकी है।
बसपा के लिए कई अहम सीटें
संभावित गठबंधन में बहुजन समाज को अच्छी जगह मिली है। उसे महाराजगंज, संतकबीर नगर, बस्ती, देवरिया, अम्बेडकर नगर, घोसी और डुमरियागंज में लड़ने के अवसर मिल सकते हैं। इसमें पनियरा के बसपा नेता जीएम सिंह को देवरिया से लड़ाने की बात कही जा रही है।महाराजगंज से गणेश शंकर पांडेय, की उम्मीदवारी तय है।
सपा को मिलेगी कई चर्चित सीटें
जहां तक सपा का सवाल है उसे गोरखपुर और फूलपुर की सीटें तो मिली ही हैं, इसके अलावा बांसगांव, सलेमपुर, बलिया, आजमगढ़, भदोही की सीटें मिलेंगी।
सूत्र बताते हैं कि गठबंधन ने अभी देवी पाटन मंडल पर कोई बात चीत नहीं किया है। अनुमान है कि उस मंडल से सत्ता पक्ष यानी भाजपा के कम से कम दो सांसद पार्टी छोड़ रहे हैं। पार्टी छोड़ कर वह किस दल में जायेंगे अभी तय नहीं, उनका सियासी कदम देख कर उसी के अनुसार बाकी सीटों पर भी चुनावा खाका तैयार किया जायेगा। वैसे खबर है कि एक सांसद बसपा अौर एक सपा के सम्पर्क में है।
पीस पार्टी को लेकर कशमकश
गठबंधन में पीस पार्टी को लेकर सबसे कशमकश है। पीस पार्टी के अध्यक्ष डा. अयूब खुद नोकसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं। डुमरियागंज और संतकबीर नगर उनकी पसंदीदा सीट है। गठबंधन के बडे दलों का मानना है कि डा. अयूब को चुनाव लड़ाने की बजाये उन्हें गठबंधन का स्टार प्रचारक बनाया जाये और चुनाव बाद उन्हें राज्यसभा में भेजा जाये। लेकिन डा. अयूब का रुख अभी साफ नहीं है।
सूत्र बताते हैं कि अगर डा. अयूब पे चुनाव लड़ने का मन बनाया तो या तो उनको उनकी पसंदीदा सीट देनी पड़ेगी, या फिर वे गठबंधन से बाहर होंगे। खैर इस मुद्दे पर अभी कोई आम राय नहीं है। सियासी धुंध अभी कायम है।