अखिलेश सरकार की संवेदनहीनताः देने वाले किसी को गरीबी न दे, मौत दे दे मगर बद नसीबी न द
हमीद खान
सिद्धार्थनगर। उपर वाले किसी को गरीबी न दे, मौत दे दे मगर बदनसीबी न दे। एक पुरानी फिल्म का यह गाना शायद बेचन की गरीबी के लिए ही लिखा गया था।
इटवा ब्लाक के ग्राम पंचायत कपिया टोला गौरा निवासी 35 साल का बेचन प्रजापति रिक्शा चला कर अपने साठ साल के पिता साधू और 40 साल के विकलांग भाई सेवक का पेट भरता है।
बेचन का कहना है कि गरीबी के चलते उसकी और उसके भाई की शादी नहीं हो पाई। वह रिक्शा चला कर दो जून की रोटी तो ले आता है, लेकिन इस आमदनी पर उसे या उसके भाई को कोई बेटी देने को तैयार नहीं है।
बेचन के मुताबिक सरकार ने तमाम योजनाएं चला रखी हैं। लेकिन उसे कोई लाभ नहीं मिला। हालंकि उसने बीडीओ, तहसीलदार , एसडीण्म के दफतरों के बहुत चक्कर काटे, मगर नतीजा सिफर ही रहा।
सीधी सी बात है कि अखिलेश सरकार की योजनाएं अच्छी हो सकती हैं, लेकिन उनके अफसर संवेदना विहीन है। बकौल साधू, अगर अखिलेश सरकार उन जैसों की विपदा सुन ले तो शायद यह मानवता की बड़ी सेवा हो सकती है।
इस संबध में खंड विकास अधिकारी इटवा राम नाथ ने कहा कि मामला मेरे संज्ञान में नहीं है। जांच करुंगा यदि ऐसा है तो हर सम्भव योजनाओं का लाभ दिलाने का प्रयास करूंगा।