गोरखपुरः सीएम योगी के खिलाफ राधा मोहन अग्रवाल चुनाव में उतरेंगे या मैदान छोड़ेंगे
भारतीय जनता पार्टी से 1996 से लगातार इस सीट पर जीतते आ रहे हैं राधा मोहन अग्रवाल, पहला विस चुनाव सीएम योगी ने लड़ाया था
नजीर मलिक
गोरखपुर। अब यह सफ हो गया है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने गृह जिले गोरखपुर की सदर से चुनाव लड़ेंगे। पूरे प्रदेश में कई सीटों की छानबीन करने के बाद अन्ततः भाजपा ने फैसला ले लिया है। अब सीएम योगी गोरखपुर सदर से ही चुनाव मैदान में उतरेंगे। इस निर्णय की घोषणा के बाद गोरखपुर की राजनीति में उबाल आ गया है तथा सीएम और गोरखपुर सदर से वर्तमान विधायक राधामोहन अग्रवाल के संभावित टकराव को लेकर बहस काफी तेज हो गईं हैं।
1996 से लगातार जीत रहे हैं राधामोहन दास
गोरखपुर शहर प्रदेश की एक मा़त्र विधानसभा सीट है जहां से 1996 से अब तक भारतीय जनता पार्टी के डा. राधामोहन दास अग्रवाल लगातार विधानसभा चुनाव जीतते आ रहे हैं। पहला चुनाव उन्होंने हिंदू युवा वाहिनी से लड़ कर भाजपा के दिग्गज नेता और मंत्री रहे शिवप्रताप शुक्ला को हराया था। तब इस हार के लिए योगी आदित्यनाथ को जिम्मेदार माना गया था और डा. राधामोहन अग्रवाल योगी आदित्य नाथ के हनुमान के रूप में प्रचारित हो गये थे। 25 साल पहले घटी उस घटना के बाद आज कुछ बदल चुका है। आज शिव प्रताप शुकल भाजपा के नेता हैं और योगी आदित्यनाथ प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। दूसरी तरफ सीएम योगी और राधामोहन दास अग्रवाल के बीच 36 का आंकड़ा है। हालांकि मुख्यमंत्री ने इस बात को सार्वजनिक रूप से कभी नहीं व्यक्त किया परन्तु विधायक राधामोहन दास अग्रवाल इस बारे में खुल कर बोलते रहते हैं।
क्या विधायक को मना पायेगी भाजपा?
भाजपा ने जब सीएम योगी को गोरखपुर सदर सीट से चुनाव लड़ाने का फैसला कर लिया है तो राधामोहन दास अ्ग्रवाल का टिकट कटना स्वाभाविक है। ऐसे में सवाल उठता है कि राधा मोहनदास अग्रवाल क्या राजनीतिक फैसला लेंगे। क्या वह पार्टी का फैसला मान लेंगे या पार्टी से विद्रोह कर चुनाव मैदान में उतरेंगे? शहर में आम चर्चा है कि दोनों के बीच दूरियां काफी बढ़ गई हैं। इसलिए किसी तरह की सुलह समझौते की गुजाइश कम है।
रोचक हो सकता है चुनाव
इस सम्बंध में गोरखपुर के कई भाजपा नेताओं का मानना है कि सीएम और विधायक आरएमडी (राधामोहन दास का उपनाम) के बीच दूरियां तो हैं परन्तु अंतिम क्षणों में किसी न किसी तरह से मना लिया जाएगा। परन्तु विधायक राधामोहन दास को करीब से जानने वालों का कहना है कि विधायक जी स्वभाव से बहुत जिद्दी हैं। वह एक बार अड़ गये तो फिर चुनाव में सीएम के मुकाबले उतरने से नहीं चूकेंगे। लगातार 25 सालों से विधायक चुने जाने से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह जनता में कितने लोकप्रिय है। ऐसे में अगर वह सीएम के मुकाबले उतरे तो सदर सीट के चुनाव को बहुत रोचक स्थिति में पहुंचा देंगे।
खैर गोरखपुर सदर सीट को लेकर गोखपुर में चाय पान की दूकानों रेस्तरों में चर्चा छिड़ी हुई है। सभी अपने अपने विचार को अपने अंदाज में व्यक्त कर रहे हैं। कुछ भाजपा विरोधी लोग तो अति उत्साह में गोरखपुर सदर सीट को सीएम योगी के लिए ‘वाटर लू’ की संज्ञा देने से भी बाज नहीं आ रहे हैं। बहरहाल अभी विधायक राधामोहन दास अग्रवाल पूरी तरह खामोश रह कर स्थिति का आंकलन कर रहे हैं। लेकिन अगर उन्होंने बगावत की ठानी तो विपक्ष को एक निश्चित रूप से काफी तगड़ा राजनीतिक हथियार मिल जाऐगा।