भ्रष्टाचार की पोल खोल रहे हैं बढ़ते अतिकुपोषित बच्चे
संजीव श्रीवास्तव
सिद्धार्थनगर। कुपोषित बच्चों को पोषित करने के लिए सरकार चाहे जितनी योजना बना लें, मगर जिम्मेदारों के निकम्मेपन और विभाग में फैले भ्रष्टाचार के कारण उन योजनाओं का लाभ जरूरतमंद बच्चों को नहीं मिल पाता है। योजनाओं को भ्रष्टाचार का दीमक किस हद तक खोखला कर रहा है। इसे साबित करने के जिले में अतिकुपोषित बच्चों की निरन्तर बढ़ती तादाद ही काफी है।
कार्यक्रम विभाग से मिली जानकारी के अनुसार पहले जिले में 12210 बच्चों को अतिकुपोषित की श्रेणी में रखा गया था। गत दिनों आयोजित वजन दिवस पर आंगनबाड़ी केन्द्रों पर में 22 हजार 6 सौ 45 नये बच्चे अतिकुपोषित की श्रेणी में और आ गये। इस हिसाब से जिले में अतिकुपोषित बच्चों की 35 हजार 55 हो गयी।
मालूम हो कि सरकार की ओर से कुपोषण की समस्या पर लगाम कसने के लिए आंगनबाड़ी केन्द्रों पर प्रतिदिन भोजन, पोषाहार के साथ हौसला पोषण मिशन के तहत केन्द्रों पर आने वाले बच्चों को फल, दूध व घी देने के साथ-साथ समय पर स्वास्थ्य परीक्षण का प्राविधान है, मगर इतना सब कुछ होने के बाद भी जिले में अतिकुपोषित बच्चों की तादाद घटने के बजाए बढ़ती जा रही है।
जिससे योजनाओं के क्रियान्वयन पर सवालिया निशान लगाना लाजिमी है। इस सिलसिले में प्रभारी जिला कार्यक्रम अधिकारी अजय कुमार त्रिपाठी का कहना है कि आंगनबाड़ी केन्द्रों पर आने वाले बच्चों की सेहत को लेकर पूरा अमला सजग है। योजनाओं में भ्रष्टाचार के सवाल पर जिला कार्यक्रम अधिकारी ने कहा कि ऐसी बात नहीं है। कुपोषण की समस्या मिटाने के लिए विभाग के साथ बच्चों के परिजनों की जबावदेही तय होनी चाहिए।