हरिशंकर व अशोक के बसपा में जाने से भाजपा को झटका, दो और छोड़ सकते हैं पार्टी

December 1, 2021 2:10 PM0 commentsViews: 1286
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भाजपा का टिकट घोषित होने के बाद छोड़ देंगे पार्टी, एक लड़ेंगे बसपा से तथा दूसरे का सपा में जाना संभव

विश्लेषण सटीक हुआ तो तो इटवा, डुमरियागंज व शोहरतगढ़ विधानसभा सीटों पर भाजपा को नुकसान मुमकिन

नजीर मलिक


सिद्धार्थनगर। पूर्व विधायक जिप्पी तिवारी के अनुज अशोक तिवारी और दिग्गज भाजपा नेता हरिशंकर सिंह के बहुजन समाज पार्टी में शमिल हो जाने से सत्ताधारी दल भाजपा को करारा झटका लगा है। परन्तु यह तो पलायन की शुरूआत भर है। निकट भविष्य में भाजपा के दो और कद्दावर नेता जिले में पाला बदलने का खेल खेल सकते हैं। उनके साथ अनेक कद्दावर नेता भी उनका साथ देकर भाजपा में खलबली मचा दें, इसकी काफी आशंका है। जिले के राजनीतिक हल्कों में इस पर बड़ी बारीक नजर रखी जा रही है

दो दिग्गजों ने भजपा को बाय बाय कहा

डुमरियागंज से तीन बार भाजपा के विधायक रहे प्रेम प्रकाश उर्फ जिप्पी तिवारी के भाई अनुज अशोक पांडेय ने नवम्बर के शुरू में बसपा में शामिल होकर तहलका मचा दिया था। मगर महीने का अंत होते होते इटवा क्षेत्र के भाजपा के वरिष्ठ नेता ने भी अपने तिरस्कार से तंग आकर आखिर बसपा से नाता जोड़ लिया। अशोक तिवारी के भाई जिप्पी तिवारी निरंतर तीन बार विघायक रहे हैं। उनका जनाधार सर्वविदित है। उनका बसपा से चुनाव लड़ना भाजपा के लिए खतरनाक संकेत है। एक तो ब्रह्मण वैसे भी भाजपा से दूर हैं उस पर एक कद्दावर ब्रहमण नेता के भाई का बसपा में शामिल होकर प्रत्याशी बन जाने से भाजपा को क्या दिक्कतें आ सकती हैं, इसे आसानी से समझा जा सकता है।

इसके अलावा उसी क्षेत्र से सटे इटवा के वरिष्ठ नेता हरिशंकर सिंह जैसे जनाधार वाले नेता का भाजपा छोड़ बसपा में जाना भी खतरनाक है।हरिशंकर सिंह 2007 में इटवा में सपा के दिग्गज नेता और तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय से चुनाव हारे थे। मगर जब 2012 की चुनाव आया तो अचानक उनका टिकट काट कर वहां से पड़ोसी विधानसभा से जिप्पी तिवारी को लाकर चुनाव लड़ाया गया। नतीजा खराब ही रहा। 2017 में हरिशंकर को टिकट मिलने की पूरी उम्मीद थी। मगर संघ के चहेते सतीश द्धिवेदी को यहां से उतर दिया गया और हरिशंकर सिंह को सरकार बनने पर कोई सम्मानजनक पद देने का वादा किया गया, मगर हरिशंकर सिंह के अनुसार पद देने के बजाये अब तक उनका अपमान ही किया गया। उनके परिवार को ब्लाक प्रमुख चुनाव से वंचित किया गया और जिला पंचाायत के चुनाव में भी हराने की साजिश रची गई। नतीजे में उन्हें पार्टी छोड़ने का फैसला करना पड़ा।

दो और की पार्टी छोड़ने की तैयारी

अब खबर है कि भाजपा के एक और कद्दावर ब्राह्मण नेता भी पार्टी छोड़ने की तैयारी कर चुके हैं। शोहरतगढ़ विधानसभा से चुनाव लड़ने के इच्छुक उक्त नेता की बसपा से अंदर खाने बात चीत हो चुकी है। टिकट की सारी शर्तें भी तय हो चुकी हैं। बस उचित अवसर की तलाश है, अनुमान है कि दिसम्बर के अंत या जनवरी महीने के प्रारम्भ में उनकी उम्मीदवारी की अधिकृत घोषणा हो जाएगी। शोहरतगढ़ से ही चुनाव लड़ने के इच्छा रखनेवाले एक अन्य प्रभावशाली नेता भी अभी पार्टी के अगले कदम के इंतजार में हैं। यदि भाजपा ने यह सीट पुनः समझौते में अपना दल को दिया तो वे पार्टी से अलग हो जाने का विचार रखते हैं। और अगर सीट भाजपा के खाते में गई तो वह टिकट की दावेदारी करेंगे तथा टिकट न मिलने की दशा में पार्टी छोड़ देंगे और संभवतः सपा में चले जायेंगे। इस प्रकार चार बड़े नेताओं में दो तो पार्टी त्याग चुके है और दो तैयारी में लगे हैं। अगर एन चुनाव के समय दो और ने पार्टी त्यागा तो इसका खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ सकता है।

जैसा की ऊपर कहा गया अगर यह बतें शत प्रशिशत खरी उतर गईं तो डुमरियागंज इटवा व शोहरतगढ़ विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा को भारी नुकसान हो सकता है। दोनों पार्टी त्यागने वाले व दो सम्भावित बागियों में (कुल चार) दो ब्राहमण व दो अन्य जाति के हैं। जानकार बताते हें कि बसपा के दिग्गज सतीश मिश्र तथा दोनों उम्मीदवारों के ब्राह्मण होने के चलते भाजपा के परम्परिक वोट में भारी सेधमारी संभव है। इससे डुमरियागंज इटवा और शोहरतगढ़ सीट पर भाजपा को बड़ा नुकसान संभव है।

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