सरकारी सर्वे में जिले के 150 मदरसे गैर मान्यता प्राप्त, शासन को जल्द रिपोर्ट भेजी जाएगी
अजीत सिंह
सिद्धार्थनगर। उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड के निर्देश पर जिले में हो रहे सर्वे में अब तक बगैर मान्यता के 150 मदरसे संचालित पाए गए। डीएम संजीव रंजन की तरफ से तहसीलवार एसडीएम की अध्यक्षता में गठित समिति पांच अक्तूबर तक सर्वे करके 10 अक्तूबर तक रिपोर्ट देगी। समिति की तरफ से किये जा रहे सर्वे में भवन, शिक्षक, छात्र संख्या, पाठ्यक्रम व आय के स्रोत का भी रिपोर्ट देना होगा।
उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड की 15 जून 2022 को हुई बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे करा कर डाटा एकत्रित करने का निर्देश दिया गया था। इसके तहत डीएम ने सभी पांचों तहसील नौगढ़, बांसी, इटवा, शोहरतगढ़, डुमरियागंज में सर्वे कराने का निर्देश दिया है। इसके लिए प्रत्येक तहसील में एसडीएम की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय टीम गठित की गई है। इसमें सभी तहसीलों में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी और जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी भी सदस्य के तौर पर शामिल है। अब तक हुए सर्वे में जिले के सभी पांचों तहसीलों में 150 मदरसा बगैर मान्यता के संचालित पाए गए है। जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी तन्मय का कहना है कि निर्धारित समय में बिना मान्यता के संचालित मदरसों की रिपोर्ट तैयार कर भेज दी जाएगी, इस संबंध में अग्रिम कार्रवाई शासन स्तर होनी है।
इन बिंदुओं का हो रहा सर्वे
सर्वे में मदरसे का नाम, संचालन करने वाली संस्था का नाम, स्थापना वर्ष, मदरसे की स्थिति का संपूर्ण विवरण, निजी अथवा किराए के भवन में संचालन संबंधी रिपोर्ट देनी है। साथ ही क्या मदरसे का भवन छात्र-छात्राओं के लिए सुरक्षित है, पेयजल, फर्नीचर, विद्युत आपूर्ति, शौचालय की उपलब्धता, पढ़ने वाले बच्चों और शिक्षकों की संख्या, लागू पाठ्यक्रम भी सर्वे में शामिल है। इसके अलावा संबंधित मदरसे के बच्चे किसी अन्य विद्यालय में नामांकित है और मदरसे की गैर सरकारी समूह अथवा संस्था से संबद्धता का विवरण देना होगा।
जिले की नेपाल सीमा क्षेत्र के ब्लॉकों लोटन, बर्डपुर, शोहरतगढ़ और बढ़नी के साथ ही नौगढ़, इटवा, डुमरियागंज ब्लॉक में भी मदरसों की तादाद में वृद्धि हुई है। इनमें कई मदरसे ऐसे भी है जो पिछले कई वर्षों से बिना मान्यता के संचालित हो रहे है। सर्वे में शामिल सबसे महत्वपूर्ण बिंदुओं में मदरसे के आय के स्रोत की जानकारी में विदेशी सहयोग संबंधी तथ्य जुटाना शामिल है। सरकार सर्वे के माध्यम से जहां बच्चों को दी जा रही शिक्षा के स्तर की जानकारी करना है, वहीं संस्था में सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना भी है।