उच्च शिक्षा में आगे आने के लिए मुसलमानों को बेसिक शिक्षा पर ध्यान देना होगा- डाक्टर वहाब
अजीत सिंह
बांसी, सिद्धार्थनगर। क्षेत्र के अकबरपुर जमुनी के अरबी स्कूल कैंपस में सामाजिक संगठन फ्यूचर ऑफ इंडिया द्वारा इस्लाह-ए-मोआशरा कान्फ्रेंस का आयोजन किया गया। मुस्लिम समाज में उच्च शिक्षा के गिरते स्तर पर बोलते हुए डॉक्टर अब्दुल वहाब ने कहा कि जब हमारा समाज बेसिक शिक्षा पर ही जोर नहीं दे रहा है तो उच्च शिक्षा में गिरावट आना स्वाभाविक है ।
डाक्टर वहाब ने कहा कि व्यक्तिगत तौर पर कुछ लोग अपने बच्चों को बहुत अच्छी शिक्षा दे रहे हैं, लेकिन पूरा समाज शिक्षित हो इसके लिए हम सबको मिलकर प्रयास करना होगा। हमारे बच्चे उच्च शिक्षा प्राप्त कर प्रशासनिक सेवाओं में जाएं समाज के साथ-साथ देश की सेवा कर सकें इसके लिए हर ब्लॉक में जो शिक्षित मुसलमान हैं उन्हें संगठित होना होगा और फंड की व्यवस्था भी करनी होगी।
इस मौके पर मौलाना हिदायतुल्लाह कासमी ने कहा कि मुसलमान अक्सर यह शिकायत करते मिल जाएंगे कि बुढ़ापे में मेरे बच्चे मेरी खिदमत नहीं कर रहे हैं। इस्लाम ने वालिदैन का जो हक दिया है उसे अदा नहीं कर रहे हैं, लेकिन वही वालिदैन जब अपने बेटों की शादी करते हैं तब उन्हें इस्लाम याद नहीं रहता । कुरान और सुन्नत के खिलाफ शादियों में फिजूलखर्ची करते हैं। कुछ तो नाच गाना भी करवाते हैं और लड़की वालों से तरह-तरह के सामान नकद रुपयों की फरमाइश करते हैं। मुसलमान अपने बच्चों की शादी नबी के तरीके पर करें बुढ़ापे में बच्चे फरमाबरदार निकलेंगे ।
फ्यूचर ऑफ इंडिया के संस्थापक मजहर आजाद ने कहा कि आज सांप्रदायिकता अपनी चरम सीमा पर लेकिन इसके जिम्मेदार हिंदू नहीं बल्कि खुद मुसलमान हैं । भारत के किसी भी हिस्से में सरकार या प्रशासन ने मुसलमानों पर जब भी अत्याचार किया है तो इस देश के अमन पसंद हिंदू भाइयों ने हमारा साथ दिया। हमारे लिए कोर्ट से लेकर सड़क तक लड़ाई लड़ी,लाठियों से पीटे गए, उन पर मुकदमा भी दर्ज हुए। लेकिन फिर भी वह डटे रहे लेकिन जब कहीं किसी हिंदू पर अत्याचार होता है तो मुसलमान खामोशी से तमाशा देखता है। जिस दिन मुसलमान किसी भी इंसान पर होने वाले अत्याचार के विरुद्ध मुखर होना शुरू कर देगा उस दिन सांप्रदायिक शक्तियां दफन हो जाएंगी ।
मोहम्मद अहमद ने कहा कि मुसलमान किसी दल का पिछलग्गू बनने के बजाए अच्छे विचारधारा के प्रत्याशियों का समर्थन करें और राजनीति को राजनीति को नजर से देखें । संचालन मोहम्मद शफ़ीक़ ने किया कॉन्फ्रेंस में रियाज़ अहमद,मोहम्मद यूसफ़,कारी इंसाफ अली,मोहम्मद अयूब,डॉ आबिद, तुफैल अहमद, अब्दुल हई, डॉ शहाबुद्दीन अब्दुल खबीर मदनी आदि लोग मौजूद रहे