काबा और काशी की जियारत से कम नहीं है मां की खिदमत–डा. फरीद सल्फी
सिद्धार्थनगर । मानव जीवन मे माँ जैसी नेमत ससार मे कोई नही । माँ जीवन है, जिसके जीवन मे माँ नहीं, उसका जीवन अधूरा है । धन्य है वह लोग, जो जीवित माँ को पाकर उनकी सेवा करके अपने स्वर्ग के मार्ग को अपनाकर जनन्त हासिल कर सकते है । यही कारण है कि पवित्र किताब कुरान पाक मे स्पषट शब्दो मे लिखा है कि माँ के कदमो के नीचे जनन्त है ।
उपरोक्त बातें गत दिवस सोहांस बाजार के ग्राम सभा सोहास दरमियानी के टोला मैनहवा के मदरसा कन्जुल वलूम के प्रांगण मे आयोजित एक दिवसीय तौहीद–ए कान्फ्रेन्स को जिले के नौजवान मुसिलिम विद्वान डा० फरीद सल्फी ने खेताब करते हुए कहा। उन्होने कहा कि आज समाज मे बहुत से एसे मानव हैं, जो अपनी बूढ़े माँ और बाप के साथ बदसलूकी किया करते हैं । जबकि एसा नहीं करना चाहिए । नाराज माँ की बद दुआ सीधा अल्लाह के दरबार मे सुनी जाती है । लोगों मां की बददुआ से हर क्षण हर पल बचो । वरना बरबादी के सिवाय कुछ मिलेगा नहीं ।
कान्फ्रेन्स को नेपाल झण्डानगर बढ़नी मे मौजूद जामिया सेराजुल वलूम के उस्ताद बरिषठ मुसिलम विद्वान मौलाना अनीसुरर्हमान मदनी ने खेताब के दौरान कहा कि आप को अपन सकून के लिए आप को अच्छे और नेक पड़ोसी का चयन करना पड़ेगा । वह चाहे जिस जाति व धर्म को हो । पड़ोसी से अच्छे सलूक करना चाहिए । इस्लाम का यही सच्चा पैगाम है ।
इस क्रम मे कान्फ्रेन्स की सदारत कर रहे जामिया दारुल हुदा यूसुफपुर के सेवानिवृत्त सदर मौलाना मोहम्मद इब्राहीम रहमानी ने खेताब करते हूए कहा कि धर्म पत्नी आप का गुलाम नही बल्कि दोस्त है । उनके कमियों को सुधारो और उनकी कुछ कमियो को बार बार मत बखान करो । इससे आप के जीवन मे हमेशा खुशहाली आएगी । समाज मे एसा कम होता है कि लोग अपनी हम सफर से अचछा व्यवहार करते है ।
इसके अलावा कान्फ्रेन्स को मौलाना अब्दुरर्हीम अमीनी ए मौलाआना अहमद हुसैन फैजीए मौलाना मोहम्मद फैसल बिन अब्दुल वहाब आदि उलेमाओ ने खेताब किया ।
कान्फ्रेन्स की शुरुआत कुरान पाक की तेलावत से हाफिज व कारी सलमान, संचालन मौलाना अफजल एहसान असरी व सदारत मौलाना मु० इब्राहीम रहमानी ने किया । आयोजक मौलाना उसमान व अब्दुरर्उफ ने आए हुए श्रोतागणों एव आलिमों का तहेदिल से अभिवादन किया । इस अवसर पर मदरसा कन्जुल वलूम के प्रवन्धक मास्टर जमील अहद ए डा० मोहम्मद मोगीश, मौलाना ईशा बेलाल फैजी, मौलाना अब्दुरर्हमान मदनी, हाजी जलालुददीन, हाजी शहाबुददीन, मु० मुस्तकीम खान, मौलाना फारुक फैजी, हाजी जमील सहित क्षेत्र के तमाम लोग मौजूद रहे ।