April 19, 2023 2:01 PMViews: 1330
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। जिले की सभी नगर निकायों में ताल ठोंकने की तैयारी पूरे दम खम के साथ चल रही है। मगर इटवा तहसील की दो नगर निकायों में टिकट की दौड़ में इतनी भयानक टक्कर है कि अभी तक कोई भी दल अपने प्रत्याशी के नाम की घोषणा करने में सक्षम नहीं हो सका है। जानकार बताते है कि जिला मुख्यालय के बाद इटवा में ही सबसे बड़ी राजनीतिक जंग लड़ी जायेगी। जिसमें निकाय अध्यक्ष ही नहीं माता प्रसाद और सतीश द्विवेदी के अलावा पूर्व सांसद मोहम्मद मुकीम की राजनीतिक ताकत का भी फैसला होगा।
सिद्धार्थनगर जिले की इटवा तहसील से प्रदेश के दो दिग्गज नेता अप्रत्यक्ष रूप से आमने सामने है। वर्तमान विधायक व सपा नेता माता प्रसाद पांडेय और पिछली सरकार के मंत्री रहे ताकतवर भाजपा नेता सतीश द्विवेदी भी यहीं के हैं और उनकी राजनीतिक प्रतिद्धंदिता जगजाहिर हैं। वर्तमान में माता प्रसाद पांडेय के तीन बड़े करीबी राजेन्द्र जायसवाल, रज्जन पांडेय और पल्लन पांडेय हैं। यह तीनों ही नगर पंचायत इटवा से टिकट के दावेदार हैं और माता प्रसाद पांडेय इनमें से किसका टिकट फाइनल करें यह कठिन हो गया है।
दूसरी तरफ भाजपा नेता सतीश द्विवेदी के सामने भी ऐसी ही समस्या है। उनके बहुत करीबी विकास जायसवाल ने चुनाव लड़ने के लिए ठान रखा है। पूर्व मंत्री सतीश द्विवेदी का झुकाव भी उन्हीं की तरफ है। लेकिन उनकी सबसे बड़ी दिक्कत अनिल जायसवाल और शिवकुमार वर्मा के अलावा तीन बार प्रधान रहे वरिष्ठ भाजपा नेता माधव यादव उर्फ करिया यादव हैं।
इसमें अनिल जायसवाल इटवा के प्रसिद्ध व्यापारी घराने से ताल्लुक रखते हैं। इस घराने ने बुरे वक्त में पार्टी की मदद भी किया है। अनिल का पार्टी में प्रभाव है और कई बड़े नेता उनके समर्थक हैं। वे टिकट के लिए पूरी ताकत लगा रहे हैं। इसके अलावा यहां भी तीसरे उम्मीदवार शिवकुमार वर्मा हैं। चौथे उम्मीदवार करिया यादव हैं जो इसी क्षेत्र से तीन बार प्रधान रह चुके हैं। ऐसे में पार्टी किसको टिकट दे यह महत्वपूर्ण सवाल बना हुआ है।
यही हाल कांग्रेस पार्टी का है। यहां युवा नेता नादिर सलाम और पुराने नेता जमीरुद्दीन खां के बीच टिकट की जंग है। जमीरुद्दीन खान की मजबूती यह है कि इसी क्षेत्र से दो बार जिला पंचायत सदस्य रह चुके हैं। इस नगर पंचायत में लगे अधिकांस गांव उनका गढ़ माना जाता है। सूत्रों का कहना है कि इन हालात में तीनों ही दलों ने टिकट को होल्ड कर टिकट की घोषणा 23 अप्रैल को करने का निर्णय लिया है। ताकि टिकट से वंचित होने पर किसी बागी को भाग कर बसपा व अन्य पार्टियों से टिकट लेने का मौका न मिल सके।
वैसे सूत्र यह भी बताते हैं कि सपा के एक दावेदार अभी से बसपा के सम्पर्क में हैं। जो टिकट कटने पर रातों रात बसपा से सिम्बल लेकर चुनाव लड़ सकते हैं। फिलहाल सभी को 23 तारीख का शिद्दत से इंतजार है।
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