जय हो फाउंडेशन का जलवाः मुम्बई के आंदोलित किसानों के साथ खड़े होकर “जलवा ए अफरोज” हुए अफरोज मलिक
जेड.ए. खान
मुम्बई। नासिक से 180 किमी पैदल मार्च कर विधानसभा के घेराव के लिए मुम्बई पहुंचे लगभग चालीस हजार किसानों के लिए बेमिसाल मदद कर अफरोज मलिक और उनकी संस्था “जय हो फाउंडेशन” ने महाराष्ट्र के किसानों का दिल जीत लिया है। हालांकि आंदोलनरत किसानों के लिए मुम्बई की दर्जनों एनजीओ ने मदद मुहैया कराई है, मगर अफरोज मलिक और जय हो फाउंडेशन ने लीक से हट कर काम कर सबके दिलों में जगह बना ली है।
मुम्बई के कुर्ला निवासी कारोबारी और समाजसेवी अफरोज मलिक को किसान मार्च शुरू होते ही इसकी भीड़ और और आंदोलन की शिद्दत का यहसास हो गया था। इसके लिए उन्होंने “जय हो फाउंडेशन” की बैठक कर विशेष रणनीति बनाई। उन्हें पता था कि इतनी बड़ी भूखी प्यासी भीड को भोजन पानी, दवा आदि की सुविधा देना किसी एक आदमी या एनजीओ के बस की बात नहीं थी।
बकौल अफरोज मलिक इसके लिए उन्होंने किसान मार्च के रास्ते पर छोटी छोटी बैठके कीं। लोगों को हालात से अवगत कराया और उन्हें मदद देने के लिए लोगों से आगे आने की अपील की। नतीजा यह हुआ कि किसान मार्च के रास्ते में मुम्बई की सीमा में अनेक स्टाल लगने लगे। जिसके माध्यम से भोजन, पानी, दवाइयां, चप्पल, आदि की मदद उपलब्ध कराई जाने लगी। खुद उनकी संस्था ने भी कई स्टाल लगाये।
खबर है कि कल मार्च के आजाद मैदान में पहुंचते ही जय हो फाउंडेशन के तत्वावधान में अफरोज मलिक कई ट्रकों में खाने पीने का सामान लेकर पहुंच गये। खुद कार्टूनों में भरा मदद का सामान उतारने का काम किया। उनका जज्बा देख आंदोलनरत किसानों में अफरोज मलिक के नाम का शोर मच गया। लोग उनके बारे में जानने को उत्सुक होने लगे।
जय हो फाउंडेशन का यह जज्बा 40 हजार किसानों के बीच में चर्चा का विषय बन गया। किसान नेता पीके जोशी ने कहा कि “जय हो फाउंडेशन” का यह काम अद्भुत और बेमिसाल है। अफरोज मलिक जिस तरह मदद को आगे आये हैं वह आने वाले कल में इतिहास में सुननहरे पन्नों में दर्ज किया जायेगा।‘
कौन हैं अफरोज मलिक’
अफरोज मलिक यूपी के सिद्धार्थनगर जिले के डुमरियागंज तहसील के ग्राम बिथरिया के निवासी हैं। वह एक किसान परिवार के हैं और मुम्बई में रियल स्टेट के कारोबार से जुड़े हैं। लोग मुम्बई में उन्हें प्यार से अफरोज भाई कहते हैं। खुद अफरोज मलिक कहते हैं कि किसान होने के नाते वह किसानों की पीड़ा को बखूबी जानते हैं। आज भी वे खेती के सीजन में गांव जाते हैं तो किसानों की पीड़ा उन्हें कुरेदती है। वे अपने गांव में वैज्ञानिक खेती कर किसानों को जागरूक कर रहे हैं।
अफरोज ने कहा
इस बारे में अफरोज मलिक से बात की गई कि वह रियल स्टेट के कारोबार में हैं, फिर आप किसान आंदोलन से शिद्दत से कैसे जुड़े? जवाब में अफरोज कहते हैं कि वे कितने भी बड़े व्यापारी हो जायें, मगर उनकी जड़ें किसानी से जुड़ी हैं। इसलिए वे आज भी खेती से जुड़े है। इस लिहाज से भारत का हर किसान उनका भाई है और भाई की मदद करना हमारा फर्ज है। इसी सोच ने मुझे नासिक के आंदोलनरत किसानों से जोड़ा। आगे भी ऐसे ही जुड़गा, भले की कोई कुर्बानी देनी पड़े।