सिद्धार्थनगर के अफरोज़ मलिक लड़ रहे मुंबई ऑटो ड्राइवर्स की लड़ाई
नजीर मलिक
मुम्बई में ऑटो चालकों के उत्पीड़न के खिलाफ शुरू हुई जंग की कमान सिद्धार्थनगर के अफरोज मलिक ने संभाल ली है। तकरीबन 50 हजार आटो चालकों को उनकी आवाज़ ने एक नई ताकत दी है। अफरोज मलिक की जड़ें डुमरियागंज के बिथरिया गांव में है। मुंबई में उनकी पहचान एक तेजतर्रार एक्टिविस्ट के रूप में है।
अफरोज़ मुम्बई के कुर्ला इलाके में रहते हैं। उन्होंने ऑटो ड्राइवर्स की लड़ाई ‘जय हो फाउंडेशन’ के बैनर तले शुरू की है। कुर्ला में ऑटो रिक्शा चालकों के साथ एक बड़ी बैठक के बाद उन्होंने यह लड़ाई हर स्तर पर लड़ने की घोषणा की है।
इसी सिलसिले में अफरोज मलिक ने कल बाम्बे हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल किया है। बांबे हाईकोर्ट के दो वरिष्ठ वकील नाजनीन खत्री और रईस खान से उन्होंने कानूनी मदद ली है। याचिका में महाराष्ट्र सरकार, यातायात कमिश्नर और परिवहन विभाग को पक्षकार बनाया गया है।
हाल ही में महाराष्ट्र सरकार ने घोषणा किया है कि मराठी भाषा बोलने वालों को ही ऑटो रिक्शा चलाने का लाइसेंस जारी किया जाएगा। इस विवादित घोषणा के बाद यूपी, बिहार के तकरीबन 50 हजार ऑटो चालकों के परिवारों पर संकट खड़ा हो गया है।
कपिलवस्तु पोस्ट से बातचीत में अफरोज मलिक ने कहा है कि जरूरत पड़ी तो ‘जय हो फाउंडेशन’ ऑटो चालकों की लड़ाई को सड़क पर उतर कर भी लड़ेगा। बिथरिया गांव के रहने वाले एक्टिविस्ट अफरोज़ मलिक ने मुम्बई में अपनी अच्छी साख बना रखी है।
12:42 AM
we should fight against all evil causes any
problem to society and support poors who
dont have exept our voice.
Noorullah Khan
Chairman
Great India Welfare Foundation
Karmahwa, Kondra grant, Distt.
Siddharth Nagar, U.P- 272207