शोहरतगढ़ सीट पर जमील सिद्दीकी होंगे हाथी के नये महावत
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। समाजवादी पार्टी के नेता और नगर पालिका सिद्धार्थनगर के अध्यक्ष मो. जमील सिद्दीकी ने सधी हुई सियासी चाल चल कर बड़ी कामयाबी हासिल की है। वह बसपा में शामिल ही नही हुए हैं, वरन उन्होंने विधानसभा शोहरतगढ़ में हाथी की चाल को तेज करने के लिए महावत का दर्जा भी पा लिया है। उस सीट पर हाथी की चाल सुधारने की बड़ी जिम्मेदारी उन्हें जल्द मिलने वाली है।
हालांकि अभी उनके प्रत्याशी होने का अफिशियल एलान नहीं किया गया है, मगर कपिलवस्तु पोस्ट ने एक पखवारा पूर्व ही उनके बसपा में शामिल होने और शोहरतगढ़ से चुनाव लड़ने का संकेत दे दिया था। शोहरतगढ़ में हुए बसपा के सम्मेलन में जोनल कॉर्डिनेटर लालजी वर्मा ने उन्हें शामिल कराया। जमील के साथ उनके ब्लाक प्रमुख भाई फीकए जिला पंचायत सदस्य गंगा मिश्रा और सैकड़ों कार्यकर्ता शामिल हुए हैं। उम्मीद है अगले सप्ताह उनकी उम्मीदवारी की घोषणा कर दी जायेगी।
जमील के बसपा में शामिल होने का कुछ पदाधिकारी विरोध कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि विरोध करने वाले पूर्व विधानसभा प्रभारी अमर सिंह चौधरी के लोग हैं। अमर सिंह को कुछ दिन पहले बसपा ने पार्टी विरोधी गतिविधि में लिप्त होने के कारण बाहर कर दिया गया था।
आपको बता दें कि जमील ने अपनी राजनीति पारी की शुरुआत सपा से की थी। वह संगठन में कई पद पर रहे। जिला महासचिव रहते हुए उन्होंने सिद्धार्थनगर नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव लड़ा। इसके बाद अपने भाई को नौगढ़ ब्लाक प्रमुख भी बनवाया। लेकिन बीते सपा ने उन्हें पार्टी से बाहर दिखा दिया था। इस दौरान यह अटकलें लगनी लगी थी कि वह बसपा में जाएंगे। कुछ दिन पहले उनका निष्कासन रद्द कर दिया गया था।
दरअसल जमील सिद्दीकी शोहरतगढ़ सीट से चुनाव लड़ने के आकांक्षी थे। लेकिन हालात ऐसे थे कि शोहरतगढ़ सीट से समाजवादी पार्टी का टिकट पाना कठिन दिख रहा था। लिहाजा उन्होंने पार्टी बदली और अपने मकसद में कामयाब भी हुए।
जमील के बहुजन समाज पार्टी से उम्मीदवार होने की वजह से शोरतगढ़ सीट के सियासी समीकरणों में बदलाव आने की पूरी उम्मीद है। आने वाले एक सपताह में उनकी उम्मीदवारी के एलान के बाद वहीं सियासी समीकरणों के बदलाव के संकेत सामने आने लगेंगे।