नपा सिद्धार्थनगरः जाति के सहारे विरोधी का कोर वोट ध्वस्त करने की कवायद में उम्मीदवार
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। नगर पालिका परिषद सिद्धार्थनगर का चुनाव बहुत रोचक और रोमांचक हालात में पहुंचता जा रहा है। चुनाव में जातिवाद का मुद्दा अपने चरम पर है। मजे की बात यह है कि अब की बार टिकट वितरण में हर दल ने जिस प्रत्याशी को टिकट दिया है, संयोग है कि उसकी जाति का वोट बैंक किसी दूसरे दल का कोर वोट है। ऐसे में हर प्रत्याशी अपनी जाति का हवाला देकर विपक्ष के कोर वोट में सेंधमारी की कवायद करता दिख रहा है।
लोधी और यादव मतों में हेर फेर की आशंका
माना जाता है कि लोधी वोट पूरे प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी का पक्का समर्थक है। मगर इस बार सिद्धार्थनगर सीट से समाजवादी पार्टी ने लोधी जाति के नेता रामसेवक को टिकट देकर भाजपा में हलचल पैदा कर दी है। राम सेवक लोधी के समर्थन में लोधी समाज के अनेक चेहरे चुनाव प्रचार में घूमते देखे जाने लगे। सपा मुस्लिम यादव और लोघी, राजपूत के सहारे चुनाव जीतने का सपना देखने लगी। इसका जवाब भारतीय जानता पार्टी ने अपना टिकट अंतिम क्षणों में अपने जिलाध्यक्ष और यादव जाति के नेता गविंद माधव को मैदान में उतार कर दिया। एसे में सपा समर्थक तमाम यादव गोविंद माधव यादव के आस पास लामबंद होते देखे जा रहे हैं।
ब्रहमण और वैश्य मतों पर भयानक हमला
लेकिन यहां बहुजन समाज पार्टी ने सबको चौंकाते हुए एक युवा ब्राह्मण चेहरे राकेश दत्त त्रिपाठी को उम्मीदवार बनाया, जिसका नतीजा यह हुआ कि अनेक सपा और भाजपा समर्थक चेहरे राकेश दत्त त्रिपाठी के इर्द गिर्द दिखने लगे। मगर इस बीच चौंकाने वाला फैसला यह रहा कि पिछले चेयरमैन और भाजपा नेता श्यामबिहारी जायसवाल निर्दल रूप से मैदान में उतर आये और घूम घूम कर सजातीय वोटों की गोलबंदी में जुट गये। एक अन्य भाजपा नेता राजू सिंह भी मैदान में निर्दल उम्मीदवार के रूप में हलचल मचाये हुए है। चुंकि राजू सिंह पिछले तीन चार वर्षों से चुनाव लड़ने का मन बना लिया था और अपनी पत्नी पूर्व ब्लाक प्रमुख संजू सिंह के साथ पूरे नगर क्षेत्र का दौरा कर रहे थे जिससे आम जनमानस में उनके प्रति काफी लगाव दिख रहा है।
राजपूत मतों में विभाजन?
वर्तमान में क्षेत्र में राजू सिंह को छोड़ कर सारे उम्मीदवार अपनी जाति के वोट बैंक, जो दूसरे दलों के कोर वोट हैं को तोड़ने के प्रयास में लगे हुए है, पूर्व चेयरमैन मो. जमील सिद्दीकी के लड़ने अगर राजू सिंह मुस्लिम मतों को एकजुट कर ले गये तो उनका पलड़ा भारी होगा। इनमें से जो उम्मीदवार जितना सफल होगा समीकरण उसके पक्ष में उतने ही सटीक बनेंगे। इनमें भाजपा के कोर वोट बैंक पर हमला करने वाले तीन मुख्य उम्मीदवार है मगर उसका वोट बैंक बहुत विशाल है। जबकि सपा उम्मीदवार यादव वोट को भाजपा के खेमे में जाने से बचाने और लोधी वोट को सपा से जोड़ने में लगे हैं। यह और बात है कि यादव के मुकाबले लोधी वोट ज्यादा है। सपा नेता खुर्शीद अहमद कहते हैं कि शहर का यादव मतदाताओं का एक हिस्सा पहले से ही सपा का विरोधी रहा है। इसलिए बचा हुआ दो तीन हजार मत भी भाजपा के खेमे को गया तो भी 8 हजार लोधी मतों पर अधिकार कर सपा लाभ की सिथति में है। जबकि बसपा व एक निर्दल प्रत्याशी भी भाजपा खेमे में सेंधमारी कर सकने में सक्षम है।
दूसरी तरफ शहर के विवेक गुप्त कहते हैं कि भाजपा आज कमजोर जरूर दिख रही है। मगर योगी जी जनसभा के बाद भाजपा के पक्ष में हवा बनेगी और अन्त में भाजपा ही जीतेगी। उधर पूर्व भाजपा नेता और उम्मीदवार श्यमबिहारी जायसवाल कहते हैं कि वैश्य मतों को अन्य मतों से जोड़ कर वे भाजपा को धूल चटाने की सफल रणनीति बना रहे हैं।फिलहाल यहां जाति युद्ध अपने चरम पर है और चुनावी परिदृश्य काफी उलझा हुआ है।