जयगुरुदेव जागरण यात्रा शाकाहार-मद्यनिषेध का संदेश लेकर माथुरा से पहुंची सिद्धार्थनगर
अजीत सिंह
सिद्धार्थनगर। जयगुरुदेव आश्रम मथुरा से निकली हुई शाकाहार-सदाचार, मद्यनिशेध, आध्यात्मिक और अच्छे समाज के निर्माण की सत्ताईस दिवसीय जन जागरण यात्रा दसवें दिन सिद्धार्थनगर के नौगढ़ विकास खण्ड में धेन्सा नानकार चौराहा पहुंची। जय गुरुदेव धर्म प्रचारक संस्था मथुरा के अध्यक्ष पंकज महाराज ने यहां आयोजित सत्संग समारोह में श्रद्धालुओं को मनुश्य शरीर, सत्संग, सत्गुरु और अच्छे संस्कार के महत्व को बताया।
धर्म प्रचारक महाराज ने कहा परमात्मा का सबसे बड़ा वरदान है कि आपको मनुश्य शरीर मिल गया है। इसमें रूह यानि जीवात्मा दोनों आंखों के मध्य भाग में बैठी हुई है जिसमें एक आंख, एक कान और एक नाक है। इसी में प्रभु के पास जाने का रास्ता है, जिसका भेद संत, महात्मा, फकीर बताते हैं। हम लोग महात्माओं की खोज नहीं करते हैं। यदि वे मिल भी जाते हैं तो जाति-पांति के लोक-लाज में फंस जाते हैं। जातियां तो कर्म के अनुसार बनी हैं। जाति-पाति और मजहब के रगड़ों-झगड़ों को छोड़कर शब्द अभ्यासी गुरु की खोज करें। वे आपको सुरत-शब्द (नाम-योग) का भेद बताकर, आपकी जीवात्मा की सफाई कर देंगे।
उन्होंने आगे कहा कि इस जड़ संसार में मन की ख्वाइसों, इच्छाओं को पूरा करने के लिये दिन-रात भाग-दौड़ करते हैं जो कभी पूरा होने वाला नहीं। गुरु पर भरोसा और विष्वास करें। निःस्वार्थ भाव से सत्गुरु से प्रेम करें। उनके आदेसो में रहना सीखें। जिस प्रकार प्यारे बेटे को बाप से मांगने की जरूरत नहीं पड़ती। उसी प्रकार गुरु के प्यारों को, अवश्यकता की सब चीजें मिलती रहती हैं। वे आपके कर्मोें को छोटे रूप में चुका देते हैं। अध्यात्म में बिना भरोसे और विष्वास के एक कदम भी चलना मुश्किल होता।
सब जगह मेहनत, ईमानदारी की जरूरत है। मेहनत, ईमानदारी से कामों को करते हुये भाग्य पर विश्वास रखें कि जो भाग्य में होगा, वह अवश्य मिलेगा। जिनको सतगुरु नामदान का टिकट दे देते हैं वे एक न एक दिन अपने निजघर सतलोक जरूर पहुंच जायेंगे। बाबा जयगुरुदेव जी महाराज ने करोड़ों लोगों को नामदान की बक्शीष दी और अब उनके उत्तराधिकारी पंकज जी महाराज सुरत-शब्द रहे हैं। अब नये जीवों का कल्याण ‘जयगुरुदेव’ नाम के सुमिरन से होगा।
संत फकीर रूहानियत का संदेष देने के लिये आते हैं। वे समदर्षी होते हैं। सरियतें अलग-अलग जरूर नजर आती हैं लेकिन सबमें रूहानियत एक है। सरियत और रूहानियत का सम्बन्ध ठीक उसी प्रकार है, जिस प्रकार जेवर और उनके डिब्बों की। कीमत जेवरों की होती हैं, डिब्बों की नहीं। हमें जो कुछ प्राप्त होगा रूहानियत से प्राप्त होगा। समय बीतने के साथ-साथ जब हम रूहानियत से दूर हो जाते हैं तो सरियतों के कैदी बन जाते हैं। सरियत के लोग अपने स्वार्थ में कर्म काण्डों में उलझा देते हैं।
इस समय नवयुवकों में अच्छे संस्कार औेर चरित्र निर्माण की जरूरत है। जो संत, महात्माओं के सत्संग में पड़ता है। पूज्य पंकज जी महाराज ने सभी मानव जाति के लोगों से अण्डा, मांस, शराब आदि चीजों को छोड़कर शाकाहार अपनाने की अपील किया और लोगों से शाकाहार, मद्यनिशेध के प्रचार-प्रसार के लिये अपना योगदान देने के लिये आह्वान किया।
उन्होंने जयगुरुदेव आश्रम मथुरा में आगामी दिनांक 11 से 15 जुलाई तक आयोजित गुरु पूर्णिमा पर्व में आने का निमन्त्रण भी दिया। सत्संग के बाद यात्रा अपने अगले पड़ाव पिपरपाती कुटी, झोलहिनियाँ वि.ख. सुकरौली जिला-कुशिनगर के लिये प्रस्थान कर गई। वहां 11 से 17 जून तक प्रातः व सायंकाल विकास खण्डवार सत्संग कार्यक्रम होंगे।
आयोजन में शांति स्थापना के लिये पुलिस प्रशासन का सराहनीय सहयोग रहा। इस अवसर पर बुधराम पाल जिलाध्यक्ष, अवधेष यादव तहसील अध्यक्ष, ब्लाक अध्यक्ष रामविलास यादव, गौरी शंकर गुप्ता, रामफेर गुप्ता, पारसनाथ सिंह, जनार्दन गुप्ता, रामदेव यादव, शिव कुमार गौतम, सीताराम, आत्माराम यादव, मंगरू चौरसिया, नन्द कुमार यादव, मोतीलाल यादव, भगौती मौर्या तथा संस्था के पदाधिकारीगण उपस्थित रहे।