कलश यात्रा के साथ श्रीमद्भागवत कथा का हुआ शुभारंभ
अजीत सिंह
सिद्धार्थनगर। विकास खंड बांसी के ग्राम तारागुजरौलिया में भव्य एवं पारंपरिक वेश भूषा में मंगलवार को कलश यात्रा के साथ श्रीमदभागवत कथा का शुभारंभ हुआ। कथाव्यास संतोष शुक्ल के नेतृत्व में आयोजन स्थल से पवित्र जलस्त्रोत से जल भरने के साथ शुरू हुई कलश यात्रा में मुख्य यजमान श्रीमती मंजू चतुर्वेदी एवं डा. लाल बहादुर चतुर्वेदी, संयोगिता चतुर्वेदी एवं अभिषेक चतुर्वेदी सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए।
आरती के साथ शुरू किए गए श्रीमद्भागवत कथा में कथाव्यास संतोष शुक्ल महाराज ने उपस्थित श्रद्धालुओं को सर्वप्रथम इसकी महिमा से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि विश्व में सभी कथाओं में यह श्रेष्ठ मानी गई है। जिस स्थान पर इस कथा का आयोजन होता है, वह तीर्थ स्थल कहलाता है। इसको सुनने एवं आयोजन कराने का सौभाग्य भी प्रभु के परम् भक्त को ही मिलता है। ऐसे में अगर कोई दूसरा अन्य भी इसे गलती से भी श्रवण कर लेता है, तो भी वो कई पापों से मुक्ति पा लेता है।
इसलिए सात दिन तक चलने वाली इस पवित्र कथा को श्रवण करके अपने जीवन को सुधारने का मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहिए। अगर कोई सात दिन तक किसी व्यवस्तता के कारण नहीं सुन सकता है, तो वह दो तीन या चार दिन ही इसे सुनने के लिए अपना समय अवश्य निकालें। तब भी वो इसका फल प्राप्त करता है, क्योंकि ये कथा भगवान श्री कृष्ण के मुख की वाणी है, जिसमें उनके अवतार से लेकर कंस वध के प्रसंग का उल्लेख होने के साथ साथ इसकी व्यक्ति के जीवन में महत्ता के बारे में भी बताया गया है।
इसके सुनने के प्रभाव से मनुष्य बुराई त्याग कर धर्म के रास्ते पर चलने के साथ साथ मोक्ष को प्राप्त करता है। कथाव्यास ने बताया कि इस कथा को सबसे पहले अभिमन्यु के बेटे राजा परीक्षित ने सुना था, जिसके प्रभाव से उसके अंदर तक्षक नामक नाग के काटने से होने वाली मृत्य़ु का भय दूर हुआ और उसने मोक्ष को प्राप्त किया था।
इस दौरान राम बहादुर चतुर्वेदी, श्रीमती सन्तोषी एवं दिलीप चतुर्वेदी, अशोक चतुर्वेदी, अजीत कुमार त्रिपाठी, सुप्रिया, महेंद्र, बृजेश, चन्द्रशेखर, शिवा, शिवांग सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की मौजूदगी रही।