कपिलवस्तु में पुरातात्विक सर्वेक्षण शुरू, दुबारा खुदाई में मिल सकते हैं नये एतिहासिक साक्ष्य
70 के दशक की खुदाई में मिले थे अनेक पुरातात्विक साक्ष्य, इस बार भी संभावनायें बरकरार, रिपोर्ट भेजने पर शीघ्र हो सकती है खुदाई
अजीत सिंह
महात्मा बुद्ध की क्रीड़ा स्थली कपिलवस्तु क्षेत्र में पुरातात्विक सर्वेक्षण शुरू हो गया है। केंद्रीय पुरातत्व एवं सर्वेक्षण विभाग ने गांवों का सर्वेक्षण शुरू कर दिया है। कपिलवस्तु स्तूप के आसपास कई स्तूप (टीले) हैं, जिनकी खुदाई होने पर प्राचीनता के और अधिक साक्ष्य प्राप्त हो सकते हैं। इससे पूर्व बुद्धकाल के इतिहास पर भी प्रकाश प़ड़ने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता । पूर्व की खुदाई में यहां से एतिहासिक व पुरातात्विक महत्व की तमाम जानकारियां प्रकाश में आ चुकी हैं।
इस क्षेत्र में अवैध खुदाई के कारण करीब 500 ईसा पूर्व के स्तूपों का अस्तित्व संकट में पड़ गया था, जबकि पुरातत्व विभाग की ओर से उत्खनन होने पर कपिलवस्तु क्षेत्र में धरोहरों की संख्या बढ़ जाएगी। विशेषज्ञों के अनुसार सर्वेक्षण में प्राचीन टीलों के उत्खनन का रास्ता साफ होगा। अधिक साक्ष्य प्राप्त हुए तो यहां शोध की संभावनाएं बढ़ जाएंगी। इसके साथ ही विदेशी शोधार्थियों का रुझान भी बढ़ सकता है। सहायक पुरातत्वविद विकास सिंह ने गांवों का सर्वेक्षण शुरू किया है, हालांकि, उन्होंने रिपोर्ट नहीं भेजी है। जिले के सभी गांवों में पुरातात्विक सर्वेक्षण होना है। अनुमानकिया जाता हैकि इससे सम्राट क काल पर भी महrत्व्प्झज्र्ज जानकारी यथाशिलालेख आदि प्राप्त हो सकते हैं। क्यों कि अतीत में यहां से 20किमी दूर गौतमबुद्ध की जन्मस्थली लुम्बिनी से सम्राट अशोक का स्तम्भ प्राप्त हो चुका है।
सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु में प्राचीन इतिहास, पुरातत्व एवं संस्कृति विभाग की अध्यक्ष डॉ. नीता यादव ने इस मामले में पीएमओ को ई-मेल भेजा था। उसके बाद सितंबर 2022 में भारतीय पुरातत्व एवं सर्वेक्षण विभाग लखनऊ मंडल के अधीक्षण पुरातत्वविद ने जिले के सभी गांवों में पुरातात्विक सर्वेक्षण का आदेश दिया। डॉ. नीता यादव ने बताया कि उत्खनन होने पर स्तूप में दबी पुरातात्विक संपदा का भी पता चलेगा। कपिलवस्तु के अलावा पिपरहवा, गनवरिया, सलारगढ़, पिपरी में भी पुरातात्विक साक्ष्य प्राप्त होने की संभावना है।जिनसे बुद्धकालीन इतिहास की और भी जानकारी प्रकाश में आ सकती है। बता दें कि 70 के दशक में कपिलवस्तु के दो टीलों की खुर्दा से बुद्धकालीन मुहें, कल्श और स्वयं गौतम बुद्ध कि अस्थीकलश बरामद हो चुका है।
इस बारेें में अधीक्षण पुरातत्वविद, लखनऊ मंडल डॉ. आफताब हुसैन का कहना है किसिद्धार्थनगर जिले के गांवों में पुरातात्विक सर्वेक्षण शुरू हो गया है। इसकी प्रक्रिया दिसंबर से ही शुरू हो गई थी। मगर ठोस कार्य अब शुरू हआ है। उन्होंने कपिलवस्तु के तहत्व को स्वीकारते हुए कहा कि सर्वे रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद जो भी संभावनाएं होंगी, उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी।बाता दें कि स्थानीय पुरातत्व के जानकारों का मानना है कि अगरविस्तर से खुदाई हुई तो बुद्धकालीन ही नीं पूर्व बुद्धकालीन इतिहास की जानकारी भी मिलने की संभावना है।
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