4 जिंदगियां लेने वाले अलीगढ़वा धमाके को सामान्य कह कर टाला नहीं जा सकता
सुरक्षा एजेंसियों के लिए सच्चाई की जांच करना आवश्यक, इतना शक्तिशाली धमाका फ्रीजर अथवा सिलेंडर के फटने से संभव नहीं
नेपाल सीमा से से सटे स्थान पर हुई घटना की संवेदनशीलता भी कम नहीं, एंटी टेरिरिस्ट स्क्वायड की जांच की जिम्मेदारी अहम
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। कपिलवस्तु कोतवाली के करीब नेपाल सीमा से सटे अलीगढ़वा कस्बे में हुए विस्फोट में मरने वालों की तादाद चार हो गई है। लेकिन धमाके को लेकर अभी संशय बना हुआ है। प्रशासन इसे फ्रीजर अथवा सिलेन्डर विस्फोट की संज्ञा देता है। मगर घटनास्थल के हालात कुछ और ही कहानी बयान करते हैं। आम लोग इसे पटाखे से हुए धमाका बताते हैं। क्योकि इतना शक्तिशाली धमाकासिलेंडर यी फ्रीजर से मुमकिन ही नहीं है। चर्चा है कि पटाखा गोदाम का लाइसेंस न होने से प्रशासन मामले को दबा रहा है। सीमा पर हुए इस धमाके में कुछ लोग कोई ब़ी साजिश भी तलाशते नजर आते हैं। इसलिए इस घटना कि जांच अत्यंत जरूरी होती जा रही है। याद रहे कि मंगलवार अपरान्ह हुआ धमाका इतना घातक था कि बुधवार सायं तक वहां धुआं उठता रहा तथा लाशें मिलने का सिलसिला जारी रहा।
खबर है कि अलीगढ़वा में पटाखे के जिस गोदाम में धमाका हुआ है वह बहुत शक्तिशाली था। लेकिन प्रशासन इससे इंकार करते हुए इसे फ्रीजर से उत्पन्न धमाका बता रहा है। प्रशासन करने भी क्या, अगर वह इसे पटाखे से उत्पन्न धमाका मान लेगा तो फिर सवाल होगा कि इसका लाइसेंस किसने और कब लिया? वैसे भी इस धमाके से लगभग 80 फुट चौड़े और 90 फुट लंबे कटरे की नींव तक हिल गई है। सवाल हैकि यह फ्रीजर के धमाके से संभव है क्या? आमजन में चर्चा है कि प्रशासन अपनी गलती को छिपाने के लिए इसे फ्रीजर से धमाका बता रहा है। वैसे जांच होने के बाद असली तथ्य सामने आ पाएंगे । फिलहाल घटना स्थल पर एटीएस (एंटी टेररिस्ट स्क्वाड) और बम निरोधक दस्ता घटना के दिन यानी मंगलवार रात से ही जांच में जुटा हुआ है। इसके साथ ही कई थानों की फोर्स मौके पर मौजूद है।
गुरुवार को जब घटनास्थल जायजा लिया गया तो लोग कई प्रकार की चर्चा करते नजर आए। घटना के स्थान के आसपास के क्षेत्र को पुलिस लगी है। मुख्य मार्ग पर लोगों का समूह जुटा हुआ था। इसमें एक व्यक्ति ने कहा कि अगर बोले तो प्रशासन के लोग परेशान करेंगे। लेकिन यहां पटाखा बनाने और बेचने का कार्य चलता है। यहीं से पटाखा इधर से उधर जाता है। वहीं, दूसरे ने कहा कि यहां हर सीजन में पटाखा लाकर डंप किया जाता था। इसे त्योहार में बेचा जाता है। विस्फोट का कारण बड़ी मात्रा में पटाखे रखना हो सकता है। लेकिन कुछ बोलेंगे तो प्रशासन के लोग पकड़ लेंगे। यह कहते हुए अन्य लोग खामोश हो गए। अन्य लोग भी दबी जुबान से बम बनाए जाने की बात कह रहे हैं।
बम की आवाज जैसा हुआ था विस्फोट
सीमा पार करते हुए नेपाल सीमा में पहुंचे तो यहां चाय की दुकान पर कई लोग थे। इसमें लोग दो से पांच किलोमीटर के दायरे वाले गांव के निवासी थे। भारतीय सीमा मे हुई घटना की लोग चर्चा कर रहे थे। इसमें सीमा से पांच किलोमीटर दूरी पर स्थित अटकोनिया गांव के तीन लोग थे। बात-बात में लोग कहते हुए दिखे कि हमका लाग कि हमला होई गय है। खेत में काम कर रहे थे। बम दगे जईसन आवाज आईल तो डर गईली। कुछ देर बाद पता लगा कि अलीगढ़वा महियां बम दगी गय है। जेहका आग बुझी नाई है। वहीं दूसरे व्यक्ति ने कहा कि ईंहा से लोग हमेशा पटाखा लाई जात रहे। बहुत ज्यादा रखा रहा तबय दगी गय। अबहीं आवाज सुनात बाय। बार्डर उसपर नेपाल में लगभग सभी दुकानों पर धमाके की चर्चा हो रही थी।
बार्बादी बता रही विस्फोट की भयावहता की कहानी
नेपाल में जाने वाली अंतरराष्ट्रीय सीमा की सड़क पर मुख्य गेट से 50 कदम पहले से एक गली से होकर धमाका होने वाले स्थल पर पहुंचे। मुख्य मार्ग से यहां की दूरी तकरीबन 100 मीटर होगी। कटरे तक जाने वाले मार्ग के दोनों तरफ 100 से अधिक दुकानें हैं। इसके बाद कटरा तक पहुंचे। कटरा यहां का आखिरी मकान था। इसकी लंबाई लगभग 90 फुट और चौड़ाई तकरीबन 80 फुट है। इस मकान में चारों तरफ से कमरे निकाले गए थे। लगभग 20 दुकानें बनी हैं। इसमें गोदाम के साथ ही टेलर, जूता-चप्पल और दुकानें भी हैं। धमाके का अंदाजा कोई नहीं लगा पा रहा था। कटरे की नींव तक हिल चुकी है। धमाका इतना तेज था कि कई दीवारें टूटकर जमींदोज हो गईं। बीम में सरिया बचा, गिट्टियां गायब हो चुकी हैं। वहीं, दुकान पर लगे शटर धमाके के कारण दीवार को तोड़ते हुए बाहर गिर गए या गलकर टेढ़े हो चुके हैं।
मकान का शायद ही कोई हिस्सा है जो तबाह न हुआ हो। कटरे के ठीक सामने 15 फुट आगे सामने वाले मकान में छह दुकानें चलती हैं। धमाके से इसकी दीवार हिल गई। कुछ कमरों के हिस्से टूट गए हैं। दीवार में दरारें नजर आईं। प्रशासन रेफ्रिजरेटर का मोटर बलास्ट होने की बात कर रहा है। घटनास्थल पर रेफ्रिजरेटर के मोटर तो मिले लेकिन सभी फटे नहीं, बल्कि आग लगने से जले हुए हैं। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि यहां होने वाली बड़ी साजिश को छुपाया जा रहा है। कुछ लोग आरडीएक्स से धमाका होने की आशंका व्यक्त कर रहे हैं।
बम निरोधक दस्ता भी आश्चर्यचकित
घटना की जानकारी मिलने के बाद लखनऊ से संचालित होने वाले गोरखपुर का बम निरोधक दस्ता और फॉरेंसिक टीम के लोग रात में ही पहुंच गए थे। बुधवार दोपहर दो बजे तक ये लोग थे। धमाके के बारे में जब इनसे बात करने की कोशिश की तो कुछ बोलने से इन्कार कर दिए। लेकिन घटनास्थल की स्थिति को देखने के बाद यह मान रहे थे कि धमाका रेफ्रिजरेटर या गैस सिलिंडर का नहीं है। क्योंकि मकान पूरी तरह से तबाह हो चुका है। गैस सिलिंडर और रेफ्रिजरेटर से इतना नुकसान नहीं पहुंचेगा। मकान की स्थिति को देखकर वे भी हैरान थे। विस्फोटक से धमाके की आपस में चर्चा कर रहे थे। हालांकि, यह आधिकारिक पुष्टि नहीं है।
धमाके को लेकर अनेक चर्चाएं
लोगों के मुताबिक, धमाके के बाद सुरक्षा एजेंसी से जुड़े कुछ लोग तीन बोरी से अधिक तेज से आवाज वाले पटाखे लेकर जाकर कहीं छिपा दिए। ताकि किसी को जानकारी न मिल सके कि यहां पर पटाखे बनते या बिकते थे। स्थानीय लोग यह कर रहे हैं कि पटाखे लंबे समय से बिक रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियों ने प्रशासन की नाकामी और घटना को दबाने के लिए उसे कहीं ले जाकर फेंक दिया है।
फ्रीजर कम्प्रेशर अथवा सिलेंडर का रेगुलेटर मिला है- डीएम
इस बारे में जिलाधिकारी पवन अग्रवाल का कहना है कि अलीगढ़वा हादसे में मृतकों की संख्या चार हो गई है। घायलों का इलाज कराया जा रहा है। आग लगने का कारण स्पष्ट नहीं हुआ है। इसकी जांच के लिए घटनास्थल से सैंपल लिए गए हैं। मौके से गैस सिलिंडर के रेगुलेटर मिले हैं। रेफ्रिजरेटर के कंप्रेशर या पटाखा से विस्फोट हो सकता है। जांच रिपोर्ट के बाद ही आग के कारणों का पता चलेगा।