पर्यटन मंत्री ने जगायी उम्मीद, जल्द अंतरराष्ट्रीय फलक पर स्थापित होगा कपिलवस्तु
संजीव श्रीवास्तव
दशकों से उपेक्षित तथागत की धरती पर केंद्रीय पर्यटन, संस्कृति और नागर विमानन राज्यमंत्री डॉ. महेश शर्मा के पांव पड़ते ही कपिलवस्तु के अंतरराष्ट्रीय फलक पर स्थापित होने की उम्मीद जगी है। निश्चित रूप से चार सौ करोड़ रुपये का पैकेज कपिलवस्तु के विकास को नया आयाम देगा।
इस धनराशि से न सिर्फ पर्यटक सुविधाओं का विकास होगा, बल्कि आवागमन सुविधाएं भी बढे़ंगी। इसके साथ ही लुंबिनी, बोधगया, सारनाथ और कुशीनगर से कपिलवस्तु सीधे जुड़ेगा। इसके लिए सड़क मार्ग के अलावा एयर टैक्सी को माध्यम बनाया जाएगा।
वर्ष 1898 में हुए उत्खनन में मिले अवशेषों से ही कपिलवस्तु की प्रमाणिकता साबित हो चुकी थी। बाद में वर्ष 1971 से 74 तक चले उत्खनन में प्राप्त मुहर, मुद्राएं, अंजन शालाएं, औजार आदि से इसकी अधिकृत पुष्टि हुई। मगर इसके बावजूद कपिलवस्तु अपनी वास्तविक पहचान पाने के लिए तरसता रहा है।
गाहे-बगाहे इसके विकास के लिए कई योजनाएं बनी, घोषणाएं हुईं, मगर किसी को भी मूर्त रूप नहीं मिल सका। यही कारण भी रहा कि कपिलवस्तु को लेकर नेपाल के दावे लगातार मजबूत होते गए। अब केन्द्रीय पर्यटन राज्य मंत्री ने खुद यहां आकर इसकी वास्तविकता स्वीकार की है।
पुरातत्विक अवशेषों के अवलोकन के बाद ही डॉ. महेश शर्मा माना कि पिपरहवा ही मूल कपिलवस्तु है। उन्होंने सिर्फ माना ही नहीं, बल्कि विकास को लेकर पूरी संजीदगी भी दिखाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बौद्ध पर्यटन को लेकर विजन को स्पष्ट करते हुए इसे कपिलवस्तु से जोड़ने की बात कही है। 400 करोड़ रुपये के विशेष पैकेज से इस क्षेत्र में होटल, रेस्टोरेंट, थीम पार्क सहित अन्य जरूरी संसाधन विकसित किए जाएंगे।
एयर टैक्सी के संचालन से आवागमन साधन सुदृढ़ होगा। सबसे महत्वपूर्ण भगवान बुद्ध का अस्थि कलश लाना है। दो बार की खुदाई में बरामद हुए अलग-अलग कलश फिलहाल कोलकाता और दिल्ली में रखे हुए हैं। उन्होंने वादा किया है कि एक कलश जरूर यहां लाया जाएगा। अगर इसमें कामयाबी मिली तो दुनिया भर के बौद्ध पर्यटकों के लिए कपिलवस्तु स्वत: तीर्थस्थल बन जाएगा। इसके विकास के मार्ग भी खुल जाएंगे।