शिक्षा में पीछे रहने वाली कौमों का मुस्तकबिल नहीं होता-इरशाद अहमद
संवाददाता
सिद्धार्थनगर। ज़िले में अल्पसंख्यकों की तालीम के लिये सतत प्रयत्नशील इंजीनियर इरशाद अहमद खान शिक्षा के ज़रिये समाज और देश में व्यापक बदलाव के पक्षधर हैं।जिले में आप ने गरीब, और निचले तबके के बच्चों को बेहतर और आधुनिक शिक्षा उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से कई शिक्षा केंद्रों की स्थापना की है।यतीम बच्चों के लिये अनाथालय तक का संचालन कर रहे हैं। इंजीनयर इरशाद अहमद खान ने शिक्षा अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय से हासिल की है।खैर टेक्नीकल सोसाइटी डुमरियागंज के ज़रिये सामाजिक कार्यों को संचालित करने वाले श्री अहमद से वरिष्ठ पत्रकार सग़ीर ए खाकसार ने विस्तृत बात चीत की।पेश है बातचीत के मुख्य अंश।
इरशाद अहमद का मानना है कि शिक्षा सभी मसले का हल है। शिक्षा के ज़रिये हम सामाजिक कुरीतियों, समाज में ब्याप्त भेदभाव को मिटा सकते है।जो कौम शिक्षा हासिल करने में पिछड़ जाती है। उसका कोई मुस्तकबिल नहीं होता है।उसकी नस्लें ग़ुरबत और अँधेरे में चली जाती है।
इंजीनियर इरशाद अहमद खान कहते हैं कि आने वाला वक्त ज्ञान और विज्ञान का है। तकनीक का और आधुनिक शिक्षा का ज्ञान जिस कौम के पास ज़्यादा होगा वही ज़्यादा विकसित होगा। वो ज़्यादा समृद्ध भी होगा। श्री अहमद का मानना है कि तालीम की तरफ मुसलमानों की रूचि बढ़ी है। लेकिन यह बदलाव काफी नहीं है। क्रन्तिकारी स्तर पर बदलाव की ज़रूरत है।उच्च स्तर के विश्वविद्यालयों और शिक्षा केंद्रों की स्थापना की आवश्यकता है। जिससे ज़्यादा प्रतिभावान नौजवानों की तादाद तैयार की जा सके।
उनका मानना है कि यही प्रतिभाएं देश और कौम का भला करेंगी। श्री अहमद नवजवानों से तालीमी मुहिम में भी जुड़ने की अपील करते हुए कहते हैं क़ि युवा किसी भी देश में सामाजिक, शैक्षणिक, राजनैतिक बदलाव लाने में हमेशा से ही सहायक साबित हुए हैं। शैक्षणिक क्रांति लाने में युवाओं की भूमिका ज़्यादा महत्वपूर्ण है।