जिला सपा में नेतृत्व का संकट, तीन युवाओं पर निगाहें, सर्वाधिक गुस्सा जिलाध्यक्ष पर

March 17, 2017 2:55 PM2 commentsViews: 2486
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नजीर मलिक 

naugarh

सिद्धार्थनगर। चुनाव के बाद सिद्धार्थनगर सपा में मंथन शुरू हो गया है। एक वरिष्ठ नेता के पार्टी त्यागने और माता प्रसाद पांडेय के बुरी तरह हारने के बाद यहां पार्टी कैसे चलेगी व लीडरशिप कौन करेगा, यह एक अहम सवाल बन गया है। पार्टी में काेई बड़ा चेहरा बचा नहीं है। मुस्लिम बाहुल्य जिले में कोई प्रभावशाली मुस्लिम नेता भी नहीं दिख रहा है।

माता प्रसाद हुए ७४ साल के

बता दें कि विधानसभा चुनावों से ठीक पहले पार्टी के बड़े कद वाले नेता व पूर्व मंत्री कमाल यूसुफ टिकट कटने से खफा होकर पार्टी त्याग कर बसपा में शामिल हो गये थे। इसके अलावा सपा के अति वरिष्ठ नेता व पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय चुनाव हार गये हैं। उनकी उम्र ७४ साल हो चुकी है। जाहिर है कि उनका भी सियासी कैरियर अब समाप्ति पर है।

बांसी के पूर्व विधायक लाल जी यादव भले ६१ साल के हों, मगर स्वास्थ्य गत कारणों से पार्टी नेतृत्व संभालना उनके लिए मुश्किल है।पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष सईद भ्रमर को सियासी गिरगिटों ने अपने दावं पेच से लगभग शिथिल कर दिया। हालांकि पार्टी चाहे तो उनकी सेवाए ले सकती हे।

निगाहें तीन युवाओं पर

इन हालात में डुमरियागंज से चिनकू यादव, ताकीब रिज्वी, अफसर रिज्वी, शोहरतगढ़ में उग्रसेन सिंह, जुबैदा चौधरी और कपिलवस्तु में पूर्व विधायक विजय पासवान समेत कुल ६ चेहरे ही है जो जिला स्तर पर पहिचान रखते हैं। ताकीब रिज्वी और अफसर रिज्वी की दिक्कत यह है कि सीनियर होने के बावजूद वह लीडरशिप देने की इच्छा शक्ति नहीं रखते। जुबैदा चौधरी का महिला होना सबसे बड़ी बाधा है।

साफ है कि जिले में विजय पासवान,रिम कुमार चिनकू यादव और उग्रसेन सिंह पर ही पार्टी को मजबूत बनाने की जिम्मेदारी है। तीनों युवा हैं, सक्षम हैं और ऊर्जावान भी हैं। ऐसे में पार्टी को मजबूत बनाने के लिए तीनों सामूहिक रूप से काम करेंगे अथवा कोई और रणनीति अमल में लाई जायेगी, यह भविष्य के गर्भ में है।

जिला अध्यक्ष को हटाना जरूरी

पार्टी के कई नेताओं का मानना है कि पहले जिलाध्यक्ष को हटाया जाये, तथा नया अध्यक्ष बनाया जाये। इसके बाद तीनों नेता सामूहिक तौर पर पार्टी की मजबूती के लिए काम करें। बसंत यादव का कहना है कि दस साल से अधिक दिन तक जो आदमी पार्टी अध्यक्ष रहा, वह अपना बूथ तक नहीं जिता पाया, पार्टी के लिए वह बेहद शर्मनाक है। इसलिए पार्टी की मजबूती के लिए सबसे पहले अध्यक्ष बदलना जरूरी है।

 

 

 

 

 

 

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