बिक जायेंगे इक रोज सभी चेहरे गुलाबी, हर शम्मा बुझा देगी सियासत की खराबी

March 9, 2016 10:20 PM0 commentsViews: 858
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हमीद खान

मुशायरे में कलाम पेश रतीं शायरा रुखसार बलरामपुरी

मुशायरे में कलाम पेश करतीं शायरा रुखसार बलरामपुरी

इटवा, सिद्धाथनगर। इटवा के ग्राम नेबुहवा कंवर में एक शाम अदब के नाम से हुए मुशायरा कवि सम्मेलन में दूर दरज से आये हुए तमाम कवियों और शायरों ने अपनी रूमानी और मजाहिया शायरी लोगों का खूब मनोरंजन किया।

मुशायरे का आगाज शाकिरा अनात से हुआ। जिन्होंने जिंदगी खिल गयी, दिल से दिल मिल गये, पढ़ कर तालियां हासिल कीं, तो मंजर अब्बास रिजवी नेे अपने मजाहिया अशआर “चुपके चपके रात दिन बीडी जाना याद है” जैसे अशआर से लोगों को कहकहे में डूब जाने को मजबूर कर दिया।

शायर वसीम मजहर ने  “खुद को राजा लिखूं, तुझ को रानी लिखूं, सोचता हूं  कि ऐसी कहानी लिखूं,” पढ कर नौजवानों को बेदार कि तो रूखसार बलरामपूरी ने अपने गीतों से नौजवान तो नौजवान, बुजुर्गों के दिलों की धडकनें भी तेज कर दीं। उन्होंने “साजन साजन आ जाओ साजन, बताओ क्या है दिल में मकाम तेरा, रटती हूं नाम शुबहो शाम तेरा”, पढ़ कर मुशायरे को उंचाई बख्शी।

नियाज कपिलवस्तवी ने महिला दिवस पर महिलाओं की तारीफ करते हुऐ कहा कि “वफा और ममता की मूरत है औरत, फरिश्ता सिफत एक सूरत है औरत, बहन, बेटी, बीवी है मां है हमारी, हर इक रूप में खूबसूरत है औरत, ” पढ़ कर लेगों की तालियां हासिल कीं।

जमाल कुददूसी ने इस वक्त की सियासत कि खराबियों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि “बिक जाऐंगे इक रोज सभी चेहरे गुलाबी, हर शम्मा बुझा देगी सियासत कि खराबी, एैसे ही मेहरबां जो रहे अहले सियासत, बन जाऐंगे हर गांव के बच्चे भी शराबी” पढ कर माहोला को संजीदा बनाया तो नजीर मलिक जी ने अपने ही अंदाज “नौजवान अधेड हो गये, बच्चे सूखी बेर हो गये, कैसा राजनीति का चलन, मेमने भी शेर हो गये” पढ कर सिस्टम की खराब हालत को बयान किया।

इन के अलावा खुशबू रामपूरी, उमर खान, असद निजामी, जमील चौखड़वी, सलमान गोरखपूरी, डा. सुशील, उमर खान, सलीम बलरामपूरी, ब्रहमदेव पंकज शासत्री, रोशनी मेकरानी आदि ने भी अपने अपने कलाम से नवाजा। मुशायरे में निजामत उमर फारूकी और अध्यक्षता बलराम त्रिपाठी ने किया। इस मौके पर आयोजक मंडल के अखलाक साहब ने सबका शुक्रिया अदा किया।

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