तीज बुधवार को, सुहाग की लंबी आयु के लिए सुहागिनें रखेंगी व्रत
संजीव श्रीवास्तव
भाद्रपद की शुक्ल पक्ष तृतीय तिथि बुधवार को हरतालिका तीज पर्व है। सिद्धार्थनगर में इसे लेकर महिलाओं में खासा उत्साह है। केवल सुहागिन ही नहीं, कुवांरी बालिकाएं भी इसकी ब्रेसबी से प्रतीक्षा करती हैं। इस दिन भगवान शिव शंकर और पार्वती की पूजा की जाती है।
सुहागिन महिलाएं इस व्रत को जहां अखंड सौभाग्य व पति की लंबी उम्र के लिये करती हैं। वहीं बालिकाएं इच्छित व सर्वश्रेष्ठ वर प्राप्त करने की कामना के साथ उपवास रखती हैं। तीज को लेकर सिद्धार्थनगर के हर बाजार व कस्बों में चहल-पहल बढ़ गयी है। महिलाएं व्रत में उपयोग होने वाली वस्तुओं की खरीददारी में जुट गयी हैं।
यह पर्व भगवान शिव की अर्द्धनारीश्वर स्वरूप नर-नारी की उत्पत्ति जीवन की शक्ति तथा सृष्टि की रचना से जुड़ा है। कहते हैं कि भगवान शिव माता पार्वती के अमित, अगाध, निश्ल, प्रेम-प्रणय, अतुल्य थ्ो। इसलिये भगवान शिव अनादि काल से गृहस्थों विवाहितों के उपास्य देवता माने गये हैं।
ऐसे करें पूजा
इस व्रत में गणेश जी सहित भगवान शिव तथा माता पार्वती के पूजन एवं निर्जल व्रत रहने का विधान है। प्रातः काल से स्नानादि से निव़ृत्त होकर व्रत का संकल्प लेने के बाद नये वस्त्र आभूषण व सोलह श्रंगार करके प्रसन्नचित से पूरब की ओर मुख कर कुशासन अथवा कंबल के आसन पर बैठना चाहिए। अपने सामने एक आसन पर केले का पत्ता बिछा देना चाहिए।
उसी पत्ते पर गणेश जी सहित शंकर व पार्वती की मिट्टी की मूर्ति रखना चाहिए। इसके बाद अखंड दीप प्रज्ज्वलित करते हुये पूजन सामग्री धूप, दीप, गंध, अच्छत, वस्त्र, पुष्प, इत्र, पान, सुपारी, लौंग मिष्ठान, फल, ांग धतूरा, बिल्व पत्र, मंदार पुष्प, एवं समस्त श्ऱंगार सामग्री समर्पित कर अखंड सौभाग्य की कामना करते हुये पूजन अर्चन करना चाहिए।
भारत ही नहीं, पड़ोसी राष्ट्र नेपाल में भी तीज को बेहद आकर्षण तरीके से मनाया जाता है। पन्द्रह दिन पहले से नेपाली महिलाएं इसकी तैयारी में जुट जाती है। मधेसी ही नहीं पहाड़ी महिलाएं भी इस व्रत को रखती हैं।