नदियों के घटने के बावजूद किसानों पर सैलाब का कहर जारी, हजारों हेक्टेयर फसलें बरबाद

October 22, 2022 1:25 PM0 commentsViews: 175
Share news

अजीत सिंह

सिद्धार्थनगर। बूढ़ी राप्ती व राप्ती नदी का जलस्तर निरंतर कम होने से गांवों में राहत की सांस ली जाने लगी है। लेकिन परासी व अकरारी नाले के जलस्तर में कमी नहीं होने से उसके आस पास के गांवों के हजारों हेक्टेयर खेतों में जल जमाव के कारण किसान बेचैन हो रहे हैं। उनका मानना है कि अब धान की फसल तो बर्बाद हो ही गयी, अब रबी की फसल की भी समय से बुआई न होने की आशंका है,जिसका दुष्प्रभाव किसानों को भुगतना पड़ेगा।

क्षेत्र में आई बाढ़ से नदी के किनारे स्थित गांव डूब रहे थे तो इटवा-बिस्कोहर मार्ग व शाहपुर-सिगारजोत मार्ग के बीच के अधिकांश गांव सुरक्षित महसूस कर रहे थे। लेकिन, अचानक सोहना नहर के बौनाजोत व जूडीकुइया के पास कट जाने से परासी व अकरारी नाले से होकर आए पानी ने बचे गांवों की परेशानी बढ़ा दी।

यही नहीं परायी नाले का पानी जो फजीहतवा होते हुए राप्ती नदी में गिरता था, इस बार तेजी से पानी नहीं नदी में नहीं फेंक पा रहा है।जिसके कारण मड़िला बख्शी, सूपा राजा आदि क्षेत्र के कम से कम तीन दर्जन गांवों की भमि अभी भी डूबी हुई है। बाकी नदियें केकिनारे नीचे की सतह पर बसे गांव अभी भी मैरूंड ही हैं।

क्षेत्र के किसान, अब्दुल रउफ, शिवकुमार, जोखन शब्बीर उर्फ लड्डन मलिक आदि का कहना है कि इन नालों के पानी  पानी कम होने का रफ्तार बहुत धीमी है। इससे रबी की फसल की बुआई नवंबर के बाद ही संभव  पायेगी। ऐसे में यदि बुआई अधिक पिछड़ती है तो उसका असर फसल उत्पादन पर निश्चित रूप से पड़ेगा।

Leave a Reply