डुमरियागंज सीट पर तस्वीर हुई साफ, विप्र समाज के लाल देंगे भाजपा के पाल को चुनौती
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। डुमरियागंज सीट पर भाजपा को पटखनी देने के उद्देश्य से समाजवादी पार्टी ने लोहे से लोहा काटने की रणनीति बनाई है। उसने भाजपा की शिकस्त पुख्ता करने के लिए पूर्वांचल के ब्राह्मण शिरोमणि घराने से भीष्म शंकर उर्फ कुशल तिवारी को मैदान में जिन्हें विप्रों का लाल बताया जा रहा है। अब यह सुनिश्चित हो गया है कि डुमरियागंज सीट में भाजपा के वर्तमान सांसद जदगम्बिका पाल व सपा से कुशल तिवारी के बीच होगी। कुशल ने कल संसदीय सीट का दौरा कर क्षेत्र के सपा नेताओं व अन्य प्रतिष्ठित जनों से मुलाकात कर अपनी चुनावी मुहिम की अनौपचारिक शुरूआत कर दी है।
कितनी बार जीते ब्राह्मण
बता दें कि डुमरियागंज सीट पर सन 52 के पहले चुनाव से अब तक के 16 चुनाव में अब तक 7 बार ब्राहृमण प्रत्याशी ही जीते हैं। मगर वर्ष 1991 के बाद से यहां 6 बार राजपूत प्रत्याशियों के हाथ जीत आई हैं। इनमें रामपाल सिंह तीन व जगदम्बिका पाल तीन तीन बार जीत चुके हैं। लेकिन मंदिर आदोलन की लहर के बावजूद वर्ष 1989 और 91 में यहां से सपा के बृजभूषण तिवारी चुनाव जीतने में कामयाब रहे। कहने का मतलब यह है कि इसी सीट पर ब्राह्मण मतदाता भाजपा के विरोध में जब जब बोला है तब तब यहां भाजपा का सिंहासन भी डोला है। इस लिहाज से इस सीट पर अगला चुनाव बेहद रोचक होने की संभावना है। क्योंकि ब्राह्मण समाज में पंडित हरिशंकर तिवारी के हाता का प्रभाव असंदिग्ध है।
ब्राह्मण उत्साहित तो हैं, मगर—
तो इस बार क्या होने वाला है, क्या ब्राह्मण समाज बोलेगा अथवा वह चुप रहेगा? इस बारें में राजनीति के स्थानीय जानकार बताते हैं कि कुशल तिवारी के चुनाव ल़ड़ने की खबर पर स्थानीय ब्राहमण समाज उत्साहित दिखता है और उसकी बाडी लैंग्वेज भी बदली लगती है। कुछ भाजपा समर्थक ब्राह्मण भी सपा के पक्ष में बात करते दिख जाते हैं। कल के दौरे के समय उनके साथ कुछ स्थानीय ब्राह्मण चेहरे ऐसे भी देखे गये जो आम तौर पर भाजपा के कट्टर समर्थक माने जाते हैं। मगर एसे सारे लोग सपा के पक्ष में ही मतदान करेंगे यह कहना अभी जल्दबाजी होगी। नामंकन के बाद चुनाव प्रचार जब शुरू होगा तभी कुछ ठोस आंकलन किया जा सकेगा।
क्या कहते हैं कुशल समर्थक
आजादी के बाद से यहां ब्राहमण, दलित और मुस्लिम मतों का गठजोड़ इतना मजबूत था कि कांग्रेस यहां आराम से जीतती रही। 90 के दशक में जब सपा का उदय हुआ तो दलित और यादव मत सपा के पक्ष में दलित बसपा के पक्ष में तथा ब्राह्मण भाजपा के खेमे में चले गये। सपा के पास मुस्लिम और यादव के साथ थोड़े से अन्य पिछड़े मत ही रहे। इसलिए सपा तभी जीत सकी जब उसका ब्राह्मण प्रत्याशी अपने सजातीय मतों का अतिरिक्त इंतजाम कर सका। पिडित हरिशंकर तिवारी जैसे प्रतिष्ठित ब्राहमण नेता, जिन्हें विप्र शिरोमणि भी कहा जाता है, के पुत्र होने के कारण कुशल तिवारी यहां के अधिकांश ब्राहमण मतों को पा सकते हैं ऐसा कुशल तिवारी के समर्थकों का दावा है। उनके गृह जनपद के समर्थक अजय दुबे कहते हैं कि डुमरियांज संसदीय सीट के 26 प्रतिशत मुस्लिम, दस प्रतिशत यादव, 10 फीसदी अन्य पिछड़े मतदाता सपा के पक्ष में लामबंद है। इसके साथ कांग्रेस के पारम्परिक मतदाता तो साथ है ही। 46 प्रशिशत मतदाताओं के साथ यहां के 14 प्रतिशत सजातीय (ब्राह्मण) मतदाताओं का आशीर्वाद कुशल तिवारी जी प्राप्त कर यहां से एतिहासिक जीत हासिल करेंगे।
बसपा क्या करेगी
रही बात बसपा की तो उसके प्रत्याशी ख्वाजा शमसुद्दीन यहा मुसलमानों का कितना मत प्राप्त कर सकेंगे, यह कौतूहल का विषय है। मुसलमानों में आज बसपा की राजनीतिक साख शून्य है। ऊपर से उन पर भाजपा से करीबी रिश्तों की भी चर्चा है। बड़ी बात यह कि इस बार मुसलमान अपने मतों को नहीं बंटने देने पर प्रतिबद्ध है। इसलिए आज के हालात में नहीं लगता कि बसपा यहां मुस्लिम मतों को ज्यादा नुकसान कर पायेगी