happy news-रेगिस्तान में नखलिस्तान का अहसास करा रहीं हैं जुबैदा चौधरी और शांति पासी
नजीर मलिक
महिला आरक्षित सीटों पर पर्चा भले ही महिला ने दाखिल किया हो, लेकिन चुनाव उनके पति, पिता और भाई ही लड़ रहे हैं। सिद्धार्थनगर जिले में सिर्फ जुबैदा चौधरी और शांति देवी पासी जैसी गिनी चुनी महिलाएं हैं, जो अपनी लड़ाकू छवि के साथ रेगस्तिान में नखलिस्तान का अहसास करा रही हैं।
वार्ड नम्बर 2 और 41 से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड रहीं दोनों महिलाएं अपना चुनावी नेतृत्व खुद कर रही हैं। वह खुद अपनी रणनीति बनाती है और उसे अपने समर्थकों से अमल कराती हैं।
दोनों महिलाओं ने अपने परिजनों का केवल उतना ही सहारा ले रखा है, जितना परिजन को देना चाहिए। जुबैदा जनभाओं को संबोधित करती हैं, घर घर पहुचती हैं तो शांति देवी भी पूरा इलाका खुद नाप रही हैं।
जिला पंचायत सदस्य के लिए तकरीबन सौ महिलाएं मैदान में हैं, मगर इन दोनों के अलावा केवल पूजा यादव और आरती वर्मा ही जनता में यदा कदा देखी गई हैं। हालत यह है कि सपा, बसपा और भाजपा के कई नेता घर की महिलाओं को लड़ा रहे हैं, मगर उन्होंने पोस्टरों पर अपनी महिलाओं का फोटो तक डालने से परहेज कर रखा है।
एक्टिविस्ट आशीष महजिदिया कहते हैं कि मर्दों के बंधनों में कैद महिलाओं को हराना ही होगा। उनका कहना है कि जो महिला अपनी मर्जी से पोस्टरों पर अपनी फोटो तक नहीं डाल सकती, वह सदन में बैठ कर लोगों के अधिकारों के लिए कैसे लड़ पायेगी?