13 साल पहले बांसी में ही हुआ था पूर्वी उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा एनकाउंटर, हुई थीं 14 हत्याएं
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। बांसी कोतवाली के सोनखर गांव में शुक्रवार की रात हुए एनकाउंटर ने 13 साल पहले बांसी में हुए एनकाउंटर की याद दिला दी। उस एनकाउंटर में कुल 14 लोगों की जान गई थी। बांसी के ही गांव दानोकुइयां के बागीचे में एनकाउंटर होने के बाद सनसनी फैल गई थी। पुलिस ने दावा किया था कि उसने सात डकैतों को मार गिराया है।
पुलिस ने दावा किया था कि बांसी शहर में डकैती डालने आए सात बदमाश एनकाउंटर में मार गिराए गए हैं। उस समय एनकाउंटर में महत्वपूर्ण रोल अदा करने वाले दारोगा का नाम शमशेर बहादुर सिंह था। संयोग से बांसी के मौजूदा थाना प्रभारी का नाम भी शमशेर सिंह ही है।
पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक 1 जून 2003 की रात बांसी में डकैतों ने एक बैंक आफिसर आरके प्रसाद के घर में डकैती डाली थी। प्रतिरोध करने पर बदमाशों ने श्री प्रसाद और उनके चार परिजन और पड़ोस के दो लोगों की हत्या कर दी थी। भोर में वारदात की इत्तेला पुलिस को हुई। पुलिस ने दावा किया कि इसके बाद तत्कालीन कोतवाली प्रभारी श्यामरथी आर्य और एक अन्य तेज तर्रार थानाध्यक्ष शमशेर बहादुर ने सुबह नौ बजे उन डकैतों को डिड़ई चौराहे के निकट गांव दानोकुइयां के बाग में घेर लिया था।
फिर आमने-सामने की मुठभेड़ में सभी सात डकैत मारे गये थे। हालांकि घटना के बाद से ही इस एनकाउंटर को फर्जी कहा जा रहा था। मरने वालों का जो नाम और पता बताया गया था, वह अंत तक प्रमाणित नहीं हुआ। इस प्रकरण की कई बार जांच हुई अंत में सब कुछ फाइलों में खो गया।
बीती रात सोनखर गांव के बाग में दुबारा हुए एनकाउंटर से बांसी के उस कांड की याद आना स्वाभाविक है। लेकिन सोनखर कांड में कोई डकैत मारा नहीं गया है। दो घायल हुए है और आठ बदमाश असलहों के साथ पकड़े गये हैं। सभी बदमाश बाहरी जिलों के हैं। उम्मीद है कि इस घटना के बाद अपराधियों के हौसले पस्त होंगे।
गौरतलब है कि हाल के महीनों में सिद्धार्थनगर में चोरी और डकैती की बढ़ती वारदातों से जनता असुरक्षित महसूस कर रही थी। लोगों का रातों को सोना दुश्वार हो गया था। उम्मीद की जानी चाहिए कि एक बड़े गैंग के दबोचे जाने के बाद जिले के नागरिक स्वयं को सुरक्षित महसूस कर सकेंगे। बशर्ते पुलिस इस कामयाबी के बाद बेफिक्री का अंदाज न अपना ले।