समय से पूर्व चुनाव की आंशंका को लेकर चौकन्ने हुए लोकसभा टिकट के दावेदार
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। हालांकि अभी लोक सभा चुनाव में नौ माह की देर है मगर देश प्रदेश में चल रही राजनीतिक गतिविधियों के चलते राजनैतिक समीक्षकों का मानना है कि केन्द्र सरकार के खिलाफ विपक्ष की चल रही निरंतर घेरे बंदी को देखते हुए सरकार तीन प्रदेशों के चुनाव के साथ लोकसभा चुनाव की घोषणा भी कर सकती है। इसी के मद्देनजर जिले में लोकसभा के टिकट के लिए विभिन्न दलों के चुनाव के इच्छुक लोगों ने अपने अपने जुगाड़ सेट करना शुरू कर दिया है। याद रहे कि मध्य प्रदेश, राजस्थान व छत्तीसगढ़ प्रदेशों के चुनाव दिसम्बर में होने हैं। ऐसे में यदि लोकसभा भंग हुई तो उसके चुनाव भी तीनों विधानसभा चुनावों के साथ ही होंगे।
बताया जाता है कि राष्ट्रीय मीडिया के दर्जन भर वरिष्ठ टिप्पणीकारों के इस अनुमान के बाद विभिन्न दलों के टिकट के आकांक्षी नेताओं ने अभी से ही अपनी शतरंजी चाल शुरू कर दी है। उन्होंने पार्टी में पहुंच रखने वाले बड़े नेताओं व रसूखदारों से सम्पर्क साधना शुरू कर दिया है। जिससे राजनीतिक हल्कों में अपनी ही पार्टी के अन्य नेताओं से प्रतिद्वंदिता के आसार नजर आने लगे हैं। पार्टी में इन नेताओं ने अपने अपने गुट भी बनाने शुरू कर दिये हैं।
भाजपा में पाल के सामने कौन
भारतीय जनता पार्टी में चुनावी योद्धा के रूप में जगदम्बिका पाल सबसे बड़े नेता हैं। वह लगातार तीन बार से लोकसभा के सांसद चुने जाते रहे हैं। उनके अपने स्वयं के जनाधार का वर्तमान में कोई जोड़ नहीं है। पार्टी के जनाधार को जोड़ कर वे अपने आप में अजेय दिखते हैं। इस लिहाज से सामान्य हालात में उनका टिकट पक्का होना चाहिए। मगर भाजपा में कुछ ऐसे नेता भी हैं, जिनका संगठन में अपनी पहुंच पर बहुत नाज है। उनका मानना है कि उनकी कशिश नया गुल खिला सकती है।
भाजपा के सूत्रों का कहना है कि पार्टी के एक वरिष्ठ नेता और पूर्व शिक्षामंत्री सतीश द्धिवेदी इस दिशा में प्रयासरत हैं। उन्हीं नेताओं का कहना है कि वे जगदम्बिका पाल का टिकट कटवाकर खुद प्रत्याशी बन सकते हैं। इसके अलावा पार्टी के जिला अध्यक्ष गविंद माधव भी टिकट के सशक्त दावेदारों में बताये जा रहे हैं। पूर्व सिंचाई मंत्री धनराज यादव के पुत्र होने के कारण उनका सम्मान तो है ही उनके अपने भी कुछ राजनीतिक गुण हैं। जिसके कारण उन्हें भी मुख्य प्रतिद्धंदी माना जा रहा है। इसके अलावा कुछ और चेहरे भी है जो अभी अपने पत्ते नहीं खोलना चाहते हैं।
सपा के सामने चेहरो की भीड़
इसके अलावा समाजवादी पार्टी है जो भाजपा के मुख्य प्रतिद्धंदी के रूप में देखी जा रही है। सपा के खेमे में चुनाव लड़ने के इच्छुक चेहरों की भरमार है। स्वंय सपा जिलाध्यक्ष लालजी यादव इस समय सबसे तगड़े दावेदार हैं। इसके अलावा सपा ले वरिष्ठ नेता सरफराज भ्रमर, पूर्व राज्यसभा सदस्य आलोक तिवारी, सपा नेता राम कुमार उर्फ चिंकू यादव भी टिकट के लिए अवसर बनाने हेतु प्रयासरत हैं। लेकिन इन सबके समक्ष सबसे बड़ी चुनौती पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय हैं। बढ़ती उम्र के कारण सब यही मान रहे हैं कि वह अब लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेगे, मगर यदि वे लड़े तो सब को निराशा ही हाथ आयेगी। श्री पांडेय यदि नहीं भी लड़े तो उनकी राय महत्वपूर्ण होगी। मगर माता प्रसाद पांडेय ने अभी अपना फैसला स्पष्ट नहीं किया है।
कांग्रेस से समझौता होने पर क्या होगा?
वैसे विपक्षी दलों ने राष्ट्रीय स्तर पर समझौता कर इंडिया नाक एलायंस बनाया है। ऐसे में तालमेल होने पर इस सीट के कांग्रेस के खाते में जाने की संभावना है। यदि ऐसा हुआ तो कांग्रेस पार्टी से डा. चंद्रेश उपाध्याय और पूर्व सांसद मो. मुकीम तगड़े दावेदार होंगे। यह भी संभव हैं कि कांग्रेस यहां से कोई नया प्रत्याशी उतारने का प्रयोग करें।
बहरहाल समय से पूर्व चुनाव होने की आशंका को भांप कर कई टिकट के कई दावेदार दिल्ली लखनऊ में अपने तरफदारों से सम्पर्क करने लग गये हैं। इन नेताओं ने अब अपने लोगों को क्षेत्र में सचेत करना भी शुरू कर दिया है और सभी लोकसभा के समय पूर्व चुनाव की घोषणा का आशंकित मन से इंतजार कर रहे हैं।