करीमपुर मदरसे का मामला आरयूसी ने सीएम के सामने उठाया, डीएम बोले जांच करेंगे
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। मदरसा दर्सगाह इस्लामी करीमपुर का मामला राष्ट्रीय उलेमा कौंसिल ने जानकारी में ले लिया है। कौंसिल ने मामले को मुख्यमंत्री के सामने रख कर इंसाफ की मांग की है। कौसिल ने मसले पर डीएम सिद्धार्थनगर से भी बात की है। डीएम ने मामले की जांच कराने को कहा है।
इस सम्बन्ध में राष्ट्रीय उलेमा कौंसिल उत्तर प्रदेशके अध्यक्ष डा. निजामुद्दीन खान ने प्रदेश के मुख्य मंत्री अखिलेश सिंह यादव को पत्र लिखकर अवगत काराया है कि ज़िला सिद्धार्थनगर के करीमपुर गांव में स्थित मदरसा दर्सगाह इस्लामी में प्रबंधन को लेकर विवाद है। इसके आखिरी प्रबंधक डॉक्टर इनामुल्लाह थे और 27 अगस्त को इनकी मौत हो गई थी।
मगर इसी दिन डॉक्टर इनामुल्लाह के बेटे मोहम्मद ख़ालिद ने अवैध तरीके से मदरसे पर कब्ज़ा कर लिया। मदरसा कमिटी को जब इसकी जानकारी हुई तो ज़िला प्रशासन से गुहार लगाई गई। डीएम ने विवाद की तफ्तीश करवाई और मदरसे पर अवैध कब्ज़े की पुष्टी हुई।
पुलिस ने आरोपी मोहम्मद ख़ालिद के ख़िलाफ जालसाज़ी का मुकदमा दर्ज कर चार्जशीट दाखिल की लेकिन इसकी गिरफ्तारी नहीं हो पाई।
दर्सगाह इस्लामी मदरसा सुचारू रूप से चलने ही वाला था कि तभी डीएम की जांच को सदर तहसील के एसडीएम राजित राम प्रजपति ने पलट दिया। एसडीएम के फैसले से मदरसे का विवाद बढ़ गया है।
डा. निजामुद्दीन खान ने यह भी लिखा है कि कई दिनों से जारी इस सरकारी प्रताड़ना के ख़िलाफ़ विगत दिनों मदरसा कमिटी लोग के अपने बच्चों के साथ ट्रॉली में बैठकर डीएम ऑफिस पहुंच गये मगर डीएम सुरेंद्र कुमार ने फरियाद सुनने की बजाय बच्चों और मदरसे के टीचरों को दुत्कार दिया।
इस सम्बन्ध में राष्ट्रीय उलेमा कौंकिल के प्रदेश अध्यक्ष ने ज़िला अधिकारी सिद्धार्थ नगर को भी फोन करके न्याय पूर्ण कार्यवाही करने के लिये कहा है। जिलाधिकारी ने मामले की फिर जांच कराने का भरोसा दिया है। दूसरी तरफ करीमपुर के ग्रामीणों ने उलेमा कौंसिल की पहल के लिए शुक्रिया अदा किया है।
क्या हैं ताजा हालात?
फिलहाल मदरसे में लगा ताला हट गया है। लेकिन वहां दोनों प्रबंधकाे का दखल है। प्रबंधक मो. इलियास के साथ मदरसे के टीचर हैं। जबकि साइंस टीचर विवादित प्रबंधक मो. खालिद के पक्ष में है। ऐसा उनकी मजबूरी है क्योंकि प्रशासन आज भी विवादित प्रबंधक को ही मान रहा है। साइंस टीचर्स को उन्हीं के दस्तखत पर सरकारी तनख्वाह मिलती है।