क्षत्रियत्व को युग युग के लिए अजर अमर कर गये महा राणा प्रताप
अजीत सिंह
सिद्धार्थनगर। महाराणा प्रताप ने घास की रोटी खाना स्वीकार किया, परन्तु मुगल सम्राट अकबर की आधीनता स्वीकार नहीं बैठक की। वह आन बान शान के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले क्षत्रिय समाज के महान पुरोधा थे। जिनकी वजह से समाज का सर सर्दा गर्व से ऊंचा रहता है। राणा प्रताप जी ने क्षत्रियत्व को युग युग युग के लिए अजर और अमर कर दिया है।
उक्त बाते अखंड प्रताप सिंह ने कही वह मंगलवार को क्षत्रिय महासभा के तत्वावधान में आयोजित महाराणा प्रताप जयंती को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान पुराने जमाने से ही सुसंस्कृत और संपन्न देश रहा है। मध्य युग की शुरुआत में मुस्लिम शासकों का भारत आगमन हो गया था।
18 जून 1576 में मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप और मुगल सम्राट अकबर के बीच भीषण युद्ध हुआ था। इस लड़ाई में न अकबर जीता और न महाराणा प्रताप हारे। कई दौर में यह युद्ध चला। कहा जाता है कि इस युद्ध में महाराणा प्रताप की वीरता और युद्ध-कौशल को देखकर अकबर दंग रह गया था। बहुत ही कम सैनिकों के बल पर महाराणा प्रताप ने अकबर की सेना से जबरदस्त मुकाबला किया था।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे एसएन सिंह ने कहा महाराणा प्रताप न केवल क्षत्रिय समाज के अपितु पूरे भारतीय जनमानस के प्रेरणा स्र्रोत थे। हमें भी ऐसे महापुरूष के बाताये गये रास्तों का अनुसरण करते हुए समाज के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना चाहिए ।कार्यक्रम को जिलाध्यक्ष फतेह बहादुर सिंह, अनिल प्रताप सिंह, हरेंद्र बहादुर सिंह, जेपीएन सिंह, राजू सिंह, भानु प्रताप सिंह, रमेश सिंह, जय गोविंद यादव ने भी संबोधित किया।
इस दौरान क्षत्रिय समाज के हलधर सिंह, आरबी सिंह, जेपीएन सिंह, रमेश सिंह, अंजू चौहान, संगीता सिंह आदि लोगो को अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा द्वारा सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर अजीत सिंह, धीरेंद्र प्रताप सिंह, विनीत सिंह, मारकंडेय सिंह, उदय प्रताप सिंह, आशुतोष सिंह, विजय पांडेय, मनोज सिंह, राकेश सिंह, राजेश कुमार सिंह, जगदम्बा सिंह, अमर सिंह, अष्टभुजा श्रीनेत, रताकांत सिंह महादेव प्रसाद तिवारी, विकास सिंह, नवीन सिंह शैलेन्द्र प्रताप सिंह, निकुन्ज सिंह आदि उपस्थित रहे।