देश विभाजन के कड़े विरोधी थे मौलाना अबुल आजाद- इब्राहीम
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। मौलाना आजाद देश विभाजन के कड़े विरोधी थे वह धर्म के आधार पर राष्ट्रीयता के भी प्रबल विरोधी थे। जंगे आजादी में भरपूर योगदान के बाद भी उनकी सही मूल्यांकन नहीं किया जा सका। स्व. आजाद के बारे में अब नये सिरे से काम करने की जरूरत है।
उक्त विचार मोहम्मद इब्राहिम बाबा ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में व्यक्त किया स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मौलाना अब्दुल कयूम रहमानी फाउंडेशन के बैनर तले ग्राम तो दुधवनियाँ बुजुर्ग में आयोजित मौलाना आजाद की 133 वी जयंती पर बोल रहे थे। उन्हेने कहा कि इतिहास उन्हें भारत के वीर पुरोधा के रूप में याद करेगा।
मौलाना अब्दुल रशीद ने प्रमुख वक्ता के रूप में कहा कि मौलाना आजाद मुत्ताहिदा हिंदुस्तानी कौमीयत के अलंबरदार थे उन्होंने मौलाना आजाद के विचारों को विस्तार से रखा ।मौलाना रशीद ने कहा कि मौलाना आज़ाद ने तकनीकी और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम करते हुए आई आई टी, यूजीसी, साहित्य कला एकेडमी आदि की स्थापना की थी।वो हिन्दू मुस्लिम एकता के पक्षधर थे।वो भारत को एक आधुनिक और विकसित देश के रूप में देखना चाहते थे। देश की आज़ादी के लिए उन्होंने खुद को समर्पित कर दिया था।
कार्यक्रम का संचालन कांग्रेस नेता गालिब बिसेन ने किया खलकुल्ला खान,अनिरुद्ध पाठक पूर्व प्रधान, हैदर आलम पूर्व प्रधान, इश्तियाक चौधरी, अन्नू खान, अनंतराम पाठक, जिगर आलम, एहतेशाम अहमद, इमरान नेता आदि लोग प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। अंत में फाउंडेशन के अध्यक्ष बदरे आलम ने लोगों का आभार व्यक्त किया।