मायावती के खिलाफ किसने खोला मोर्चा, कौन गया पार्टी से बाहर?
एस. दीक्षित
लखनऊ। बहुजन से सर्वजन का चोला ओढऩे वाले बहुजन समाज पार्टी में विद्रोह शुरू हो गया है। इसकी शुरूआत कांशीराम के अनुयायी और पूर्व वित्त मंत्री कमलाकांत गौतम और गंगा राम अम्बेडकर ने की है। बुधवार को मान्यवर कांशीराम की 83वीं जयंती के अवसर पर बसपा सुप्रीमो मायावती पर बाबा साहब और कांशीराम के मिशन के विपरीत चमचा युग शुरू होने का आरोप लगाकर जहां बसपा को छोड़ दिया वहीं मायावती के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इससे बसपा में हडक़म्प मच गया है।
सूत्रों के मुताबिक 2012 और 2017 यूपी के विधानसभा चुनावों से पहले कमलाकांत गौतम ने बसपा सुप्रीमो मायावती को पार्टी की हार के लिए जिम्मेदार बता दिया था। उल्लेखनीय है कि कमलाकांत गौतम और गंगाराम अम्बेडकर बसपा संस्थापक मान्यवर कांशीराम के काफी करीबी लोगों में एक रहे हैं। 2007 तक बसपा की सरकार में कमलाकांत गौतम वित्त मंत्री और विधान परिषद के सदस्य भी रह चुके हैं। जबकि गंगा राम अम्बेडकर मुख्यमंत्री के ओएसडी रहे हैं। बसपा में कमलाकांत गौतम का कद दूसरे नम्बर का माना जाता था। यह बात बसपा सुप्रीमो मायावती को बहुत रास नहीं आती है। यही वजह है कि कमलाकांत गौतम का राजनीतिक कैरियर खत्म करने के लिए बसपा सुप्रीमो मायावती ने पहले हिमाचल प्रदेश, केरल और बिहार का प्रभारी बनाया। जिससे यूपी में कमलाकांत गौतम की कोई राजनीतिक पकड़ न रह पाए।
पहले ही कर दी थी भविष्यवाणी
सू़त्र बताते हैं कि कमलाकांत गौतम ने २०१२ के चुनाव में हार की बात मायावती से कही थी तो वह नाराज हो गई थीं। २०१७ के चुनावों में भी गौतम के यही दोहराने से वह नाराज हो गईं। कमलाकांत मायामंत्रिमंडल में वित्ती मंत्री व विधान परिषद सदस्य रह चुके हैं जबकि गंगाराम मायावती के ओएसडी रहे हैं। दोनों उनके करीबियों में शुमार थे। वे जरूरत पर मायावती को राय भी देते थे।
बसपा का कोई भविष्य नहीं
दोनों नेताओं ने कहा कि अब मायावती कांसीराम जी केमिशन से भटक गई हैं। जो भी उन्हें सही राय देता है, उन्हें पार्टी से बाहर कर देती हैं। उन्होंने कहा कि वे ३६ साल से पार्टी की सवा में लगे हैं। वे बसपा छोड़ कर किसी दल में नहीं जाएंगे, बल्कि अलग से कांसीराम के मिशन को आगे बढ़ायेंगे। उन्होंने कहा कि मायावती तानाशाह बन गई हैं। बसपा का भविष्य अब डांवाउोल है।