स्थापना काल से ही संदिग्ध मौतों को लेकर चर्चा में है मेडिकल काल

November 20, 2024 12:11 PM0 commentsViews: 71
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नजीर मलिक

चित्र परिचय      विशाल की मौत के बाद मेडिकल कालेज का रास्ता जाम करते उसके परिवारीजन

सिद्धार्थनगर। स्थापना काल से ही माधव प्रसाद त्रिपाठी मेडिकल कॉलेज में पहुंचने वाले मरीजों की जिंदगी की डोर अक्सर टूट जा रही है। कहीं इलाज में लापरवाही तो कहीं इलाज के एवज में रिश्वत मांगने के आरोप लग रहे हैं। रविवार को मेडिकल कॉलेज में इंजेक्शन लगने के बाद विशाल नामक युवक की मौत होने के बाद इस मामले में भी दो कर्मचारियों के निलंबन की कार्रवाई  कर्तव्यों की इतिश्री कर ली गई। सवाल है कि ऐसी घटनाओं पर रोकथाम के लिए कड़े कदम कब उठाये जायेंगे?

क्या थी कहानी

बता दें कि स्थानीय मेडिकल कालेज तीन दिन पूर्व विशाला नामक युवक की गलत इंजेक्शन लगाने  मौत हो गई थी। आरोप है कि रिश्वत न देने से गुस्साये एक कर्मी ने उसे  गलत इंजक्शन दिया। इसी प्रकार गत अक्तूबार  माह में भी इसी प्रकार एक मरीज की मौत हुई  थी। जिस पर हंगामा भी  हुआ था। लेकिन बात इसलिए आगे नहीं बढ़ी क्योंकि पीड़ित पक्ष डर गया था। हालांकि इस बार मृतक विशाल के पिता  राम गिरीश का दावा  है कि वह इस केस को दबने नहीं देंगे।  चाहे लड़ाई  कितनी भी कठिन क्यों न हो?

उल्लेखनीय है कि मेडिकल कालेज में हर दो चार माह के भीतर मरीज की मौत पर हंगामा और रिश्वत मांगने के आरोप लगने के बाद भी व्यवस्था सुधर नहीं रही है। कार्रवाई के नाम आउटसोर्स कर्मियों को बाहर निकालकर पीड़ितों के जख्म पर कार्रवाई का मरहम लगा देते हैं। हर मामले की लीपापोती कर देना विभाग का काम हो  गया है। इस ताजा मौत के बाद भी जिम्मेदार खामोश हैं और उनकी चुप्पी टूट नहीं रही है। इसका नजीता है कि मेडिकल कॉलेज में इलाज में लापरवाही और मरीज से रुपये मांगने के मामले में कम होने के बजाए बढ़ रहे हैं। ऐसा कुछ विभागीय कर्मियों और जागरूक नागरिकों का कहना है।

क्या कहते हैं विधि विशेषज्ञ

वहीं, विधि विशेषज्ञ की राय है कि ऐसे में मामले में रिश्वत मांगने का केस तो दर्ज ही होने चाहिए। साथ ही इंजेक्शन लगाने वाले वाली की योग्यता और डॉक्टर सलाह पर लगाया है कि नहीं, इसकी जांच होनी चाहिए। मगर रिश्वत पर कभी मुकदमा दर्ज नहीं होता और जांच के नाम केवल लीपा पोती ही की जाती है। ऐसे तो  कुछ  भी नहीं होने वाला।

नवजात की मौत पर हुआ था हंगामा

लगभग एक साल पहले खेसरहा थाना क्षेत्र के बनकटा गांव निवासी सेना के जवान की पत्नी को प्रसव पीड़ा होने पर मेडिकल कॉलेज लेकर पहुंचा था। ऑपरेशन के बाद पत्नी ने बेटे को जन्म दिया। एकाएक बच्चे के लंबी सांस भरने पर उसे एसनएसीयू वार्ड में भेज दिया गया। यहां ऑक्सीजन चढ़ाना जरूरी था जो समय से नहीं दिया और एक डॉक्टर पहुंचे तो इलाज करने के बजाय बदसलूकी करने और गोरखपुर रेफर कर दिया, जहां रास्ते में दम तोड़ दिया।

सीएमएस ने कहा

इससिलसिले में मेडिकल कालेज के  सीएमएस डा.ए के  ढझाा का कहना है कि घटना के बाद जांच कमेटी बनी है। तथादोकमियों को निलम्बित कर दिया गया है।

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