चिनकू यादव की बैठक में सदर विधायक समेत 46 सदस्यों ने किया सपा उम्मीदवार का समर्थन, गरीब का चेयरमैन बनना तय
नजीर मलिक
अन्ततः सपा विधायक विजय पासवान ने पार्टी उम्मीदवार के साथ रहने का एलान कर ही दिया। मंगलवार को चिनकू यादव की तरफ से आयोजित बैठक में सभी दलों के जिला पंचायत सदस्य उपस्थित रहे। इसके बाद गरीबदास के पक्ष में विधायक के एलान ने सारी कयासबाजियां खत्म कर दीं।
आज हेडर्क्वाटर के होटल सत्कार पैलेस में विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय की अध्यक्षता में हुई बैठक में कुल 46 जिला जिला पंचायत सदस्य हाजिर रहे। इनमें सपा के अलावा भाजपा–हियुवा के सुनील सिंह और सुजाता सिंह के पति ज्ञान सिंह सहित भाजपा के ही अजय सिंह, उमेश सिंह भी शामिल रहे।
कांग्रेस पार्टी के इंजीनियर अब्दुल अलीम, महेश कनौजिया, बसपा के शेखर आजाद, डा. कलाम व डाक्टर जुबैर अहमद के अलावा अध्यक्ष पद की एक अन्य दावेदार रहीं पासी शांति देवी सहित सारे सपा सदस्य भी हाजिर रहे।
इसके अलावा जिला पंचायत सदस्य मो उमर खां, राम समुझ चौधरी, विनोद विदृयार्थी, आदि विभिन्न राजनीतिक दलों के सदस्य भी रहे।विधायक के भाई रामलाल पासवान बैठक में नहीं थे।
बताया जाता है कि विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय ने बैठक में सपा उम्मीदवार गरीबदास चिनकू का पक्ष रखा। इस पर सभी ने हाथ उठा कर सपा उम्मीदवार गरीबदास के पक्ष में अपना समर्थन व्यक्त किया।
बैठक में विजय पासवान ने कहा कि वह पार्टी के वफादार हैं और वह पार्टी उम्मीदवार के पक्ष में काम करेंगे। उनके इस वक्तव्य का भी सभी सदस्यों ने तालियों से स्वागत किया।
विधायक के एलान के बाद सपा ने जहां राहत की सांस ली है, वहीं चिनकू यादव के समर्थक जोश में भर गये हैं। हालांकि इस मौके पर गरीबदास के समर्थक चिनकू यादव ने पूरी तरह गंभीरता अपना कर अपनी राजनीतिक परिपक्वता का परिचय दिया। वैसे कुछ लोग राम लाल के चुनाव लड़ने की अटकलें अभी भी लगा रहे है। लेकिन इस बैठक के बाद सब बेमानी लग रहा है।
बैठक के साथ भोज का भी आयोजन था, जिसमें जिसमें पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष मुहम्मद सईद भ्रमर, पूर्व विधायक लालजी यादव, विधायक प्रतिनिधि उग्रसेन सिंह, सपा नेता ताकीब रिजवी, अफसर रिजवी, हरिराम यादव, अनूप यादव, खुर्शीद अहमद भाजपा नेता कन्हैया पासवान आदि तकरीबन दो सौ लोग शामिल रहे।
आज के घटनाक्रम से सिद्धार्थनगर जिला पंचायत अध्यक्ष के रूप् में गरीबदास का जीतना तकरीबन तय हो गया है। अब तो नामांकन सिर्फ औपचारिकता माना जा रहा है। वैसे राजनीति में कयासबाजियों का अंत कभी नहीं होता है।
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