शोहरतगढ़ में एसपी ने ली व्यापारियों संग बैठक, आज से खुल सकती हैं दुकानें

October 30, 2015 4:30 AM0 commentsViews: 289
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नजीर मलिक

शोहरतगढ में बैठक के बाद उत्साह के साथ बाहर आते एसपी अजय कुमार साहनी और व्यापारी

शोहरतगढ में बैठक के बाद उत्साह के साथ बाहर आते एसपी अजय कुमार साहनी और व्यापारी

एस पी अजय कुमार साहनी ने गुरुवार की शाम शोहरतगढ़ में व्यापारियों के साथ बैठक कर उनके भय को दूर किया और उनकी कई मांगों पर विचार की बात कही। इसके बाद व्यापारियों ने दुकानें खोलने पर सहमति भी जताई।मगर एक छोटा सा तबका अभी भी दुकानें न खोलने की मुहिम पर लगा हुआ है।

शोहरतगढ़ में हुई बैठक में व्यापारियों ने पुलिस अधीक्षक से कहा कि नगर में भय का वातावरण है। पुलिस लोगों के धरों में घुस रही है। लोग इसी भय से बाहर निकलने में डरते हैं। उन्होंने मृतक सूर्यलाल अग्रहरि के साथ दुकानों में तोड़ फोड़ से हुए नुकसान के क्षतिपूर्ति की मांग उठाई।

व्यापारियों का कहना था कि आगे से किसी कि गिरफ्तारी न हो, गिरफ्तार लोगों पर से धारा 307 हटाई जाये। एस.पी. अजय कुमार साहनी ने व्यापारियों की बातों को गौर से सुना और उनके निवारण की बात कही।

उन्होंने कहा कि पुलिस अकारण किसी के धर नहीं जायेगी, न ही रात में किसी के धर जाकर उनकी गिरफृतारी करेगी। उन्होंने कहा कि आगे वह नामजद लोगों की गिरफ्तारी दिन में करेगी। यही नहीं उन्होंने आश्वासन दिया कि पुलिस अपनी तफ्तीश में निर्दोष पाये जाने वालों का नाम मुकदमों से निकालने का काम करेगी।

बताया जाता है कि इसके बाद व्यापारियों ने दुकानें खोलने का आश्वासन दिया। इस बैठक में विधायक के प्रतिनिधि उग्रसेन सिंह, नगरपालिका के पूर्व अध्यक्ष एसपी अग्रवाल, विजय कुमार परसरामका, क.ेपी. सिंह, महबूब खां, राजेश आर्या आदि तमाम लोग उपस्थित रहे।

गौर तलब है कि इस बैठक के बावजूद नगर के कुछ खास चेहरे दुकानें न खोलने के लिए मुहिम चलाते रहे। हालांकि उनकी मुहिम को बल नहीं मिला। इससे उम्मीद बनी है कि शोहरतगढ़ में जिंदगी पटरी पर लौटने वाली है।

याद रहे कि मुहर्रम के अवसर पर नगर में साम्प्रदायिक झड़प हुई थी। जिसमें एक दर्जन दुकानों में तोड़फोड़ और आगजनी की गई थी। घटना के दौरान एक व्यक्ति की मौत भी हो गई थी। इसके बाद पुलिस ने चौदह लोगों को गिरफृतार किया था। बताया जाता है कि इनकी जम कर खबर ली गई थी।घटना में लिप्त सात लोग अभी फरार हैं।

मुहर्रम की घटना के बाद से ही उपनगर की व्यापारिक गतिविधियों पूरी तरह से ठप थीं। दुकानों की बंदी के अलावा स्कूल कालेज भी नहीं खुल रहे थे। जनता में भय का वातावरण था। बहरहाल उम्मीद है कि अब माहोल बदलेगा और फिजां में एक बार फिर भाईचारे की महक गूंजेगी।

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