पंचायत चुनाव: आरक्षण के भूत ने विधायकों, मंत्रियों की नींद हराम की, घात-प्रतिघात शुरू
नज़ीर मलिक
“सिद्धार्थनगर ज़िले के सभी बड़े सियासतदान त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में पूरी दखल रखते हैं। कई नेता तो अपने घरवालों को ही इस छोटे से चुनाव में मैदान में उतार देते हैं। चुनाव फिर सर पर हैं, नेतागण कमर कस चुके हैं लेकिन उनके गांवों या क्षेत्रों की स्थिति अभी तक साफ नहीं होने के कारण आरक्षण का भूत उनकी नींदें हराम किए हुए है। हाल यह है कि कई दिग्गज मनचाहा फैसला नहीं होने पर डमी कैंडीडेट की वैकल्पिक व्यवस्था में जुट गए हैं। इसके लिए घात प्रतिघात का दौर भी शुरू हो गया है। निष्ठाओं का इम्तहान भी होने लगा है।”
इटवा विधानसभा क्षेत्र के ग्राम पंचायत पिरैला पर पूरे जिले की निगाहें लगी हैं। यह गांव उत्तर प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय का है। वर्तमान में पांडेय की पत्नी यहां से ग्राम प्रधान हैं। अगर पिरैला की सीट रिजर्व हुई तो विस अध्यक्ष की पत्नी के चुनाव लड़ने के रास्ते बंद हो जायेंगे। फिर इस गांव में कौन प्रत्याशी होगा और वह किसका वफादार होगा, यह जानना दिलचस्प होगा।
डुमरियागंज के विधायक व पूर्व मंत्री मलिक कमाल यूसुफ के गांव कादिराबाद की स्थिति भी उलझी हुई है। गत चुनाव में यह सीट एस.सी के लिए आरक्षित थी। इससे पहले विधायक की पत्नी प्रधान थीं। इस बार उनके परिजन फिर लड़ने को तैयार हैं, मगर रिजर्वेशन की स्थिति साफ नहीं होने से कशमकश बरकरार है। विपरीत हालात में विधायक परिवार अपना कैंडीडेट किसे बनायेगा, यह नुक्कड़ा चौराहों पर चर्चा का केन्द्र बिंदु है।
इटवा के विधायक व सांसद रहे मोहम्मद मुकीम पिछले चुनाव में अपने बेटेे जावेद मुकीम को बीडीसी का चुनाव लड़ा कर उन्हें ब्लाक प्रमुख बनवाने में कामयाब रहे थे। मगर सपा के सत्ता में आते ही उन्हें अविश्वास के सहारे हटा दिया गया। इस बार मुकीम अपनी खोई प्रतिष्ठा को बहाल करने की जुगत में हैं। यह तभी होगा जब पिछड़े वर्ग के मुकीम साहब के बेटे का क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व न हो।
भाजपा जिलाध्यक्ष नरेन्द्र मणि त्रिपाठी का गांव तुरकौलिया तिवारी भी जिले में हलचल मचाए हुए है। पिछली बार इस गांव से प्रधानी का चुनाव अध्यक्ष के बेटे शक्ति तिवारी लड़े थे मगर उनके हिस्से बेहद कड़वी हार आई थी। भाजपा अध्यक्ष इस बार अपनी खोई प्रतिष्ठा बहाल करने की जुगत में हैं। बस आरक्षण की आशंका उन्हें डराये हुए है। इसी क्षेत्र की जिला पंचायत अध्यक्ष पूजा यादव सपा के वरिष्ठ नेता राम कुमार उर्फ चिनकू यादव की पत्नी हैं। उनकी परंपरागत सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हुई तो क्या होगा? नया क्षेत्र उनके लिए कैसा होगा? यह सवाल उन्हें परेशान किए हुए है।
इसी तरह सपा के पूर्व विधायक लाल जी यादव, इटवा से भाजपा प्रत्याशी रहे हरिशंकर सिंह, शोहरतगढ़ विधायक लालमुन्नी सिंह, बसपा प्रभारी सैयदा मलिक, अमर सिंह चौधरी, कांग्रेस के पूर्व विधायक ईश्वर चन्द्र शुक्ल, अतहर अलीम, पार्टी अध्यक्ष ठाकुर तिवारी आदि भी अपने गांव की रणनीतियों में व्यस्त हैं, मगर आरक्षण की घोषणा में विलम्ब ने सबको हलकान कर रखा है। जनता नेताओं की बेचैनी देख चटखारे ले रही है। सियासतदान आरक्षण के विपरीत होने की हालत में नये चक्रव्यूह की रचना में हलकान हैं।