वैचारिक राजनीति के सशक्त प्रतिनिधि मोहन सिंह
-मणेन्द्र मिश्र मशाल
इलाहाबाद छात्र संघ चुनाव में आपा-धापी के बीच यहाँ के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष रहे मोहन सिंह को उनके पुण्यतिथि पर याद करना बेहद सामयिक और प्रासंगिक है।साठ के दशक में जब पूरे देश में नेहरु के नेतृत्व में कांग्रेस की लहर जोरों पर थीएविपक्षी दलों का कोई नाम लेवा भी नही था। ऐसे में उस दौर में व्यवस्था विरोध के अगुवा डॉ लोहिया ने इलाहाबाद के फूलपुर से नेहरु को जो मजबूत चुनौती दिया था। उसके केंद्र में इलाहाबाद छात्र संघ के समाजवादी युवजन सभा के युवा नेतृत्व का अहम् योगदान था।
साठ के शुरुआत में समाजवादी विचार से उपजे छात्र नेताओं में श्याम कृष्ण पाण्डेयए बृजभूषण तिवारीए विनोदचंद्र दूबेएमोहन सिंहएसतीश अग्रवाल ने इलाहाबाद छात्र संघ यूनियन को छात्र हित की आवाज़ उठाने वाले मंच के साथ नई वैचारिक ऊँचाई प्रदान कियाण् जिनमें समाजवादी विचार को प्रखर रूप में सूबे के विधानसभा और दिल्ली की पंचायत में सतत रूप से निखारने का काम प्रमुखता से मोहन सिंह ने किया।
मोहन सिंह विशुद्ध रूप से पढ़ने.लिखने वाले छात्र के रूप में जाने जाते थेण्इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिन्दू छात्रावास में आयोजित एक विचार गोष्ठी में विचार व्यक्त करने के बाद छोटे लोहिया जनेश्वर ने उनकी प्रतिभा को सराहा साथ ही राजनीति करने के लिए प्रेरित कियाए जिसे देर सबेर हिचकते हुए मोहन सिंह ने स्वीकार कर लिया।
उनकी असल चिंता राजनीति में जमीनी संघर्ष के साथ.साथ वैचारिक स्तर को बनाये रखने की थी। जिसके लिए पार्टी फोरम सहित अन्य सामाजिक संगठनों द्वारा आयोजित परिचर्चा एवं संगोष्ठी में वो हमेशा सुलभ रहते थे।
इतना ही नहीं देश की राजधानी दिल्ली के सभी प्रमुख वैचारिक केन्द्रों जैसे जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालयएगांधी शांति प्रतिष्ठानएप्रेस क्लब सहित अन्यानेक स्थलों पर जन सरोकार के मुद्दे से जुड़े सभी कार्यक्रमों को उनका भरपूर नैतिक समर्थन मिलता रहता था।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष छोटे लोहिया जनेश्वर मिश्रा के निधन के बाद मोहन सिंह ने अपने वरिष्ठ राजनैतिक साथी सीमान्त लोहिया बृजभूषण तिवारी के साथ दिल्ली में उनकी कमी का एहसास नहीं होने दियाण्लेकिन इन दोनों समाजवादी धारा के नक्षत्रों की अनुपस्थिति में यूपी से वैचारिक धारा को प्रोत्साहित करने वाले नेतृत्व का दिल्ली में अभाव खुल कर सामने आ गया हैण्
सत्ता तंत्र में छुपे हुए पूंजीपतियों के खिलाफ आवाज़ उठाते हुए इलाहाबाद के वैचारिक ऊष्मा को बढ़ाने वाले मोहन सिंह का समाजवादी राजनीति में किये गए वैचारिक अवदानए जन हितैषी व्यक्तित्व का उचित प्रचार प्रसार करना ही उन्हें सच्ची श्रधांजलि होगीण्