जिले के पत्रकार पर करोडों का कालाधन इधर से उधर करने का आरोप?
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। क्या जिले में पत्रकार के लबादे में सफेदपोश भी काम कर रहे हैं? इसके उत्तर में समाजसेवी व बसपा नेता रहे मुमताज अहमद की प्रेसवार्ता से समझना होगा। मुमताज अहमद ने गुरुवार को एक प्रेसवार्ता में सरकारी दस्तावेजों के हवाले से एक कथित पत्रकार ओमेर सिद्धीकी पर जालसाजी कर कालाधन को सफेद करने व सरकारी दस्तावेजों के आधार पर ओमेर के भाइयों पर 29 लाख रुपये की टैक्स चोरी का आरोप लगाया है। तहसीलदार ने इस जुर्माने की रिकवरी के लिए ओमेर सिद्दीकी एंड कम्पनी को नोटिस भी जारी कर दिया है। इस खबर के बाद यहां पत्रकारों में काफी हलचल दिखाई पड रही है।
दरअसल कहानी शुरू होती है पत्रकार ओमेर सिद्धीकी और राशिद फारूकी द्वारा मुमताज अहमद पर दोहरी नागरिकता का आरोप लगाने से। हालांकि आरोप कई वर्ष पूर्व में लगाया जा चुका है और उसकी जांच भी की जा चुकी है, इसके बावजूद मुमताज अहमद ने स्वयं जिलाधिकारी से मिल कर कहा कि उनकी जांच की जाय मगर शिकायत करने वालों से शपथ पत्र भी लिया जाये। इस प्रकार उन्होंने स्वयं की जांच कराने की बात कही। इसी के साथ उन्होंने कल प्रेस कांफ्रेंस में अनेक दस्तावेजों को प्रस्तुत कर ओमेर सिद्धीकी के काले व्यापार का कच्चा चिठठा भी खोला।
मुमताज अहमद ने उनके करोड़ो रुपये के व्यापार का हवाला दिया और एक करोड़ की जमीन के बैनामे की फोटो कापी दिखाते हुए कहा कि बैनामापत्र में रुपयों का लेन देन जिस बैंक के चेक से दिखाया गया है वह चेक कभी कैश हुआ ही नही। यह एक जालसाजी थी। इसमें सरकारी टैक्स की चोरी प्रतीत होती है। वैसे भी बैनामे में चेक का इंदराज करना तथा उस चेक को बैंक में न डालना बैनामा नियम का उल्लंघन गैरकानूनी और अपराध है।
बकौल मुमताज अहमद ओमेर सिद्धीकी के भाइयों के इस कथित हेरा फेरी की प्रशासन ने जांच की। जांच में सत्यता भी पाई गई इस पर तहसीलदार सदर ने ओमेर के भाई शमीम अहमद को 29 लाख जुर्माने की नोटिस जारी की गई है। मुमताज अहमद ने यह भी बताया कि कथित पत्रकार एक अपने भाइयों के नाम से एक कथित कम्पनी बना कर अन्य कई जिले में काम कर रहे हैं, जिसको लेकर आयकर विभाग और ईडी को दस्तावेज मुहैया कराये जा रहे हैं। (शेष अगली खबर में)
मुमताज अहमद के इस सनसनीखेज खुलासे से यहां के पत्रकारिता जगत में बहुत हलचल है। जिस प्रकार वे दस्तावेज पर दस्तावेज जारी कर रहे हैं उससे जिले की पत्रकारिता पर सवालिया निशान लग गया है। लोग बाग कहने लगे हैं कि जिले की पत्रकारिता आज विश्वास के संकट के अभूतपूर्व दौर से गुजर रही है।